India News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और नासा का निसार मिशन आज श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा। जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट शाम 5:40 बजे उपग्रह को सूर्य-समकालिक कक्षा में ले जाएगा। यह दुनिया का पहला डुअल-फ्रीक्वेंसी रडार उपग्रह है। यह हर 12 दिन में धरती की सतह की निगरानी करेगा। मिशन की लागत 13,000 करोड़ रुपये है। इसका वजन 2392-2800 किलोग्राम है।
मिशन का उद्देश्य और तकनीक
निसार मिशन धरती के बदलावों और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करेगा। यह एल-बैंड (नासा) और एस-बैंड (इसरो) रडार का उपयोग करता है। यह तकनीक भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट जैसे खतरों का सटीक डेटा देगी। उपग्रह 747 किलोमीटर ऊपर लो-अर्थ ऑर्बिट में स्थापित होगा। लॉन्च के 19 मिनट बाद यह अपनी कक्षा में पहुंचेगा। डेटा वैज्ञानिकों को मुफ्त उपलब्ध होगा।
इसरो और नासा की साझेदारी
इसरो और नासा ने दस साल पहले निसार मिशन की योजना बनाई थी। इस साल फरवरी में ट्रंप और मोदी की मुलाकात ने इसे मजबूती दी। नासा ने एल-बैंड रडार और इसरो ने एस-बैंड रडार विकसित किया। यह जीएसएलवी सीरीज का 18वां लॉन्च है। उपग्रह तीन साल तक काम करेगा। यह पर्यावरण और आपदा प्रबंधन में मदद करेगा। इसरो की यह उपलब्धि भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है।
वैश्विक प्रभाव और डेटा उपलब्धता
निसार मिशन का डेटा वैश्विक शोधकर्ताओं के लिए मुफ्त होगा। यह जलवायु परिवर्तन, हिमखंडों और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी में सहायक होगा। उपग्रह 1 सेंटीमीटर तक की सटीक जानकारी देगा। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह 102वां लॉन्च है। मंगलवार दोपहर 2:10 बजे उल्टी गिनती शुरू हुई। यह मिशन भारत और अमेरिका की साझेदारी को नई ऊंचाई देगा।
