India News: यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए आखिरी कोशिशें तेज हो गई हैं। केरल की रहने वाली निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार ने पीड़ित परिवार से दया की अपील की है। वह ब्लड मनी के जरिए निमिषा की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। समय तेजी से कम हो रहा है।
धर्मगुरु की पहल
94 वर्षीय मुसलियार, जिन्हें भारत के ग्रैंड मुफ्ती के रूप में जाना जाता है, ने यमन के धार्मिक नेताओं से बातचीत शुरू की है। उन्होंने पीड़ित तलाल अब्दो मेहदी के परिवार से संपर्क साधा है। मुसलियार का लक्ष्य परिवार को ब्लड मनी स्वीकार करने के लिए मनाना है। उनके कार्यालय ने केरल में एक समन्वय केंद्र खोला है। यह प्रयास निमिषा के लिए आखिरी उम्मीद है, क्योंकि यमन में शरिया कानून के तहत क्षमा संभव है।
ब्लड मनी पर बातचीत
यमन के शरिया कानून में ब्लड मनी के जरिए दोषी को क्षमा दी जा सकती है। निमिषा के समर्थकों ने पीड़ित परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की है। केरल के कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम और निमिषा की मां प्रेमा कुमारी भी यमन में हैं। वे परिवार से माफी मांगने और बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, पीड़ित परिवार ने अभी तक कोई अंतिम जवाब नहीं दिया है।
निमिषा का मामला
निमिषा प्रिया 2008 में नर्स के रूप में यमन गई थीं। 2015 में उन्होंने तलाल अब्दो मेहदी के साथ क्लिनिक शुरू किया। मेहदी पर पैसे हड़पने और निमिषा का पासपोर्ट छीनने का आरोप था। 2017 में पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने मेहदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज से उनकी मौत हो गई। 2020 में निमिषा को मौत की सजा मिली, जिसे 2023 में यमन की शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा।
भारत सरकार की भूमिका
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह निमिषा को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकतरमणि ने कहा कि यमन की स्थिति जटिल है, जिससे हस्तक्षेप सीमित है। सरकार ने यमनी शेखों और प्रभावशाली लोगों से संपर्क किया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी प्रधानमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। निमिषा की मां की मौजूदगी उम्मीद जगाती है।
समय के खिलाफ जंग
निमिषा की फांसी में अब केवल एक दिन बचा है। सना जेल में बंद निमिषा अन्य कैदियों की देखभाल कर रही है। उनकी मां प्रेमा यमन में ही हैं और भावनात्मक रूप से टूटी हुई हैं। कार्यकर्ता और धार्मिक नेता दिन-रात प्रयास कर रहे हैं। ब्लड मनी स्वीकार करना अब निमिषा की जिंदगी बचाने का आखिरी रास्ता है। पूरी दुनिया इस मानवीय कोशिश पर नजर रखे हुए है।
