शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

निधि स्कैम: भारत में बढ़ते निवेश धोखाधड़ी के मामले और बचाव के उपाय

Share

India News: भारत में निधि कंपनियां सदस्यों से जमा लेती हैं और ऋण देती हैं। लेकिन कई मामलों में ये कंपनियां धोखाधड़ी करती हैं। लोग ऊंचे रिटर्न के लालच में फंस जाते हैं। 2020 से 2025 तक कई बड़े मामले सामने आए हैं। इनमें लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। सरकार ने कार्रवाई की है। लेकिन निवेशकों को सतर्क रहना जरूरी है। ये स्कैम पोंजी स्कीम की तरह चलते हैं। नए सदस्यों के पैसे से पुराने को भुगतान होता है। अंत में सिस्टम टूट जाता है। लोगों को लाखों का नुकसान होता है।

2020 से 2022 तक के प्रमुख मामले

2020 में कोरोना महामारी के दौरान कई निधि स्कैम बढ़े। लोग घर बैठे निवेश के चक्कर में फंसे। एक बड़ा मामला महाराष्ट्र में सामने आया। वहां एक कंपनी ने हजारों सदस्यों से करोड़ों जमा किए। लेकिन रिटर्न नहीं दिया। पुलिस ने जांच शुरू की। 2021 में हरियाणा में एक निधि कंपनी पर धोखाधड़ी का आरोप लगा। कंपनी ने ऊंचे ब्याज का वादा किया था। सदस्यों ने शिकायत की। अदालत ने कंपनी के खिलाफ आदेश दिए। 2022 में तमिलनाडु में ग्रेविटी वेंचर्स निधि लिमिटेड का मामला उजागर हुआ। कंपनी ने जमा पर हाई रिटर्न का लालच दिया। लेकिन पैसे लौटाए नहीं। पुलिस ने कई एफआईआर दर्ज कीं। लोगों ने प्रदर्शन किए। इन मामलों में लाखों का नुकसान हुआ।

यह भी पढ़ें:  IRCTC: दिवाली-छठ के लिए आज से शुरू हो रही है ट्रेन टिकट बुकिंग, यहां है पूरी जानकारी

2023 और 2024 के उल्लेखनीय केस

2023 में केरल के कासरगोड में जीबीजी निधि लिमिटेड का स्कैम सामने आया। कंपनी के चेयरमैन को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने करोड़ों की ठगी की थी। सदस्यों को 20-25 प्रतिशत रिटर्न का वादा किया था। लेकिन पैसे गायब हो गए। पुलिस ने जांच में पाया कि कंपनी अनियमित थी। 2024 में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कई निधि कंपनियों पर जुर्माना लगाया। इनमें एरावंचेरी निधि और माधवप्रभा निधि शामिल थीं। जुर्माने 20 हजार से 50 हजार तक थे। तिरुवनंतपुरम में ग्रेविटी वेंचर्स पर फिर शिकायतें आईं। सात नए केस दर्ज हुए। कुल 12 मामले हो गए। 30 से ज्यादा शिकायतें मिलीं। ये कंपनियां नियम तोड़ रही थीं। सदस्यों के पैसे का दुरुपयोग हुआ।

2025 में बढ़ती सख्ती और नए मामले

2025 में कंपनी रजिस्ट्रारों ने निधि कंपनियों पर शिकंजा कसा। 131 आदेश जारी किए गए। ये 2023 से 72 प्रतिशत ज्यादा थे। जुर्माने 10 हजार से 30 लाख तक लगे। एक मामला गुजरात में निधि को-ऑपरेटिव बैंक का था। आरबीआई ने जुर्माना लगाया। कंपनी ने नियम तोड़े थे। कई कंपनियां लाभकारी स्वामित्व छिपा रही थीं। जांच में पाया गया कि ये पोंजी स्कीम चला रही थीं। नए सदस्यों के पैसे से पुराने को भुगतान हो रहा था। सरकार ने चेतावनी जारी की। लेकिन कुछ कंपनियां अभी भी सक्रिय हैं। लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई। इन मामलों से लाखों प्रभावित हुए।

यह भी पढ़ें:  बैंक छुट्टी: अक्टूबर में 21 दिन बंद रहेंगे बैंक, दिवाली-छठ पर मिलेगी लंबी छुट्टी

निधि स्कैम को कैसे पहचानें

निधि स्कैम में ऊंचे रिटर्न का वादा आम है। अगर कोई कंपनी 20-30 प्रतिशत ब्याज दे रही है तो सावधान रहें। असली निधि कंपनियां सीमित रिटर्न देती हैं। कंपनी की जांच करें। क्या वो एमसीए के साथ रजिस्टर्ड है। आरबीआई गाइडलाइंस फॉलो कर रही है। वेबसाइट पर डिटेल्स चेक करें। अगर कंपनी नए सदस्यों पर जोर दे रही है तो ये पोंजी का संकेत है। पुराने सदस्यों से फीडबैक लें। अगर दस्तावेज मांगने पर टालमटोल हो तो दूर रहें। सोशल मीडिया पर रिव्यू पढ़ें। कई बार फेक रिव्यू होते हैं। असली सदस्यों से बात करें।

निधि स्कैम से बचाव के तरीके

निवेश से पहले कंपनी का बैकग्राउंड चेक करें। एमसीए पोर्टल पर सर्च करें। अगर कंपनी अनियमित लगे तो रिपोर्ट करें। पुलिस या सेबी से संपर्क करें। छोटी राशि से शुरू करें। पूरे पैसे न लगाएं। दस्तावेज हमेशा रखें। रसीद लें। अगर रिटर्न नहीं मिले तो तुरंत शिकायत करें। वकील की मदद लें। बैंक या प्रमाणित संस्थाओं में निवेश करें। ऊंचे रिटर्न के लालच से बचें। परिवार से सलाह लें। ऑनलाइन स्कैम से सावधान रहें। फोन या ईमेल पर पर्सनल जानकारी न दें। अगर ठगा जाए तो उपभोक्ता फोरम जाएं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News