Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)के लोक निर्माण विभाग ने 18 करोड़ रुपये चुकाने की मांग की है, लेकिन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने लगभग दो महीने पहले केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर प्रदेश की सड़कों को हुए नुकसान का मामला उठाया था।
भारी वाहनों का बोझ सहने में असमर्थ संपर्क मार्ग
गौरतलब है कि प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था करने की जिम्मेदारी एनएचएआई की है। इसके पीछे कारण यह है कि जिला स्तर या संपर्क सड़कें भारी वाहनों का बोझ नहीं झेल सकती हैं। मंडी के सात मील और सोलन के चक्की मोड़ में यातायात बंद रहने की स्थिति को छोड़ दिया जाए तो शिमला में घंडल बैली ब्रिज का खर्च भी नहीं दिया जा रहा है।
पठानकोट-कांगड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने पर सरकार की ओर से 11.50 करोड़ रुपये का बिल थमाया गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। घंडल बैली ब्रिज का खर्च नहीं दिया जा रहा पिछले साल विधिक अकादमी के समीप घंडल में राष्ट्रीय राजमार्ग शिमला-कांगड़ा पर बड़ा हिस्सा धंसने से एक महीने तक यातायात बंद रहा।
NHAI ने नहीं किया 2.55 करोड़ बिल का भुगतान
हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो करोड़ रुपये की लागत से बैली ब्रिज स्थापित किया था। इस साल जून में बैली ब्रिज का एक हिस्सा ध्वस्त होने के बाद 55 लाख रुपये की लागत से 20 दिन के भीतर बैली ब्रिज भारी वाहनों के लिए बहाल हुआ। प्रदेश सरकार ने 2.55 करोड़ रुपये का बिल एनएचएआई को थमाया था, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं हुआ।
चक्की पुल बंद होने से डमटाल-कंडवाल सड़क पर पड़ा दबाव
पिछले साल की बरसात में पठानकोट-कांगड़ा को जोड़ने वाले चक्की पुल के दो पिलर गिरने के बाद यातायात बाधित हो गया था। इस राष्ट्रीय राजमार्ग से वाहनों का पूरा दबाव डमटाल-कंडवाल सड़क पर आ गया। 12 किलोमीटर की इस सड़क पर क्षमता से अधिक वाहनों का भार पड़ने के कारण मरम्मत की जरूरत है। लोक निर्माण विभाग ने अक्टूबर 2022 और अप्रैल 2023 को एनएचएआई को लिखे पत्र में 11.50 करोड़ रुपये की राशि चुकाने के लिए कहा। बावजूद इसके प्राधिकरण की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
18 करोड़ रुपये चुकाने के लिए लिखे गए कई बार पत्र
लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ अजय गुप्ता ने कहा कि एक बार नहीं, कई बार एनएचएआई को पत्र लिख चुके हैं। फोर लेन या एनएच ढहने के कारण राज्य की सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ा है। यह सड़कें भारी वाहनों का बोझ उठाने योग्य नहीं हैं। जिला स्तरीय या संपर्क सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। ऐसे में लोक निर्माण विभाग ने 18 करोड़ रुपये चुकाने के संबंध में कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं।