Himachal News: रोहतांग पास की तरह अब कुफरी में भी घोड़ों और सैलानियों की संख्या पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रोक लगा दी है। एनजीटी के इस फैसले के बाद अब कुफरी इलाके में प्रतिदिन 2232 से अधिक पर्यटक नहीं जा सकेंगे। साथ ही घोड़ों के अनियंत्रित इस्तेमाल पर भी पूर्णतः प्रतिबंध लग गया है। यह कदम पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए उठाया गया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेष सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने यह आदेश जारी किया। अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार को तीन महीने के अंदर इस संबंध में सख्त दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया है। इस फैसले से कुफरी में होने वाले पर्यटन और स्थानीय कारोबार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
यह मामला शैलेंद्र कुमार यादव द्वारा दायर एक याचिका से जुड़ा है। याचिका में पर्यावरणविदों ने घोड़ों के अनियंत्रित संचालन से वनस्पति, जड़ों और पारिस्थितिकी तंत्र को हो रहे गंभीर नुकसान की ओर इशारा किया था। उनका कहना था कि इससे पेड़ सूख रहे हैं और घास नष्ट हो रही है।
कुफरी के 8-10 वर्ग किलोमीटर के इलाके में लगभग 700-800 घोड़े बिना किसी योजना के घूमते थे। इसके कारण वहां के जंगलों को भारी क्षति पहुंच रही थी। माना जा रहा है कि घोड़ों के इस अंधाधुंध इस्तेमाल ने बर्फबारी के पैटर्न को भी प्रभावित किया है।
कहां स्थित है कुफरी
कुफरीहिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। यह स्थान सर्दियों के मौसम में बर्फबारी का आनंद लेने आने वाले पर्यटकों के बीच अत्यधिक पसंद किया जाता है। शिमला शहर में जब बर्फ नहीं गिरती तब भी कुफरी में पर्यटक बर्फ का मजा लेने पहुंचते हैं।
यहां के मुख्य आकर्षणों में हॉर्स राइडिंग और विभिन्न प्रकार की साहसिक गतिविधियां शामिल हैं। पर्यटक महासू पीक तक की सवारी के लिए घोड़ों का इस्तेमाल करते हैं। इस राइड के लिए प्रति सवारी लगभग 500 रुपये शुल्क लिया जाता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यहां 1029 घोड़े पंजीकृत हैं।
पर्यावरण पर पड़ रहा था दबाव
घोड़ोंकी बढ़ती संख्या और उनके अनियंत्रित मूवमेंट ने कुफरी के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा दबाव डाला। घोड़ों द्वारा जमीन की ऊपरी परत और वनस्पति को नुकसान पहुंच रहा था। इससे मिट्टी का कटाव बढ़ा और प्राकृतिक वनस्पतियों के पुनर्जनन में बाधा उत्पन्न हुई।
स्थानीय लोगों और व्यवसायियों ने लंबे समय तक इस समस्या की ओर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया। उनका कहना था कि अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया तो कुफरी की प्राकृतिक सुंदरता हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। अब एनजीटी के हस्तक्षेप से उन्हें राहत की उम्मीद दिखाई दे रही है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
एनजीटीके इस आदेश का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर तात्कालिक प्रभाव पड़ेगा। कुफरी में बड़ी संख्या में होटल और स्थानीय गाइड्स का व्यवसाय पर्यटन पर निर्भर है। घोड़ा मालिकों और टूर ऑपरेटरों के लिए यह आजीविका का प्रमुख स्रोत है। पर्यटकों की संख्या सीमित होने से इन सभी के व्यवसाय पर असर पड़ना तय है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक रूप से यह फैसला क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित होगा। एक स्वस्थ पर्यावरण ही टिकाऊ पर्यटन की आधारशिला है। इस कदम से कुफरी की प्राकृतिक विरासत को बचाने में मदद मिलेगी जो भविष्य में और अधिक पर्यटकों को आकर्षित करेगी।
पहले भी जारी हो चुके हैं आदेश
यह पहलीबार नहीं है जब एनजीटी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। साल 2023 में भी ट्रिब्यूनल ने कुफरी में पर्यावरण संरक्षण को लेकर समान आदेश जारी किए थे। हालांकि उन आदेशों का पालन सही ढंग से नहीं किया गया जिसके कारण स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
इस बार एनजीटी ने राज्य सरकार को दिशा-निर्देश बनाने के लिए स्पष्ट समयसीमा दी है। इससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि अब नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो सकेगा। स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह ट्रिब्यूनल के आदेशों को पूरी तरह लागू करे।
भविष्य की योजना
हिमाचल प्रदेश सरकार केसामने अब एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। उसे तीन महीने के भीतर ऐसे दिशा-निर्देश तैयार करने हैं जो पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय आजीविका के बीच संतुलन बना सकें। इन दिशा-निर्देशों में पर्यटकों के प्रवाह और घोड़ों के उपयोग के लिए स्पष्ट नियम शामिल होंगे।
संभावना है कि सरकार घोड़ों के लिए रोस्टर सिस्टम लागू कर सकती है। इसके तहत प्रतिदिन सीमित संख्या में घोड़ों को ही पर्यटन गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। साथ ही पर्यटकों के लिए ऑनलाइन बुकिंग की व्यवस्था भी शुरू की जा सकती है ताकि उनकी संख्या नियंत्रित रहे।
इस फैसले को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। यह देश के अन्य पर्यटन स्थलों के लिए भी एक मिसाल कायम करता है। इससे स्पष्ट होता है कि विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है। भविष्य में इसी तरह के उपाय अन्य हिल स्टेशनों में भी लागू किए जा सकते हैं।
