Shimla News: राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने एक नई शिकायत को खारिज कर दिया है। यह शिकायत शिमला जिले के सुन्नी डैम जल विद्युत परियोजना से जुड़ी थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि ब्लास्टिंग के दौरान सतलुज नदी में मलबा फेंका जा रहा है।
एनजीटी की प्रधान पीठ ने नई दिल्ली में सुनवाई की। पीठ ने पाया कि यह मामला पहले ही निपटाया जा चुका है। छह जून को दायर की गई इस शिकायत पर प्राधिकरण ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि यह मामला दोहराव वाला है।
पहले ही निपट चुका था मामला
प्राधिकरण नेस्पष्ट किया कि यह मुद्दा पहले ही सुलझाया जा चुका है। मीरा ठाकुर द्वारा दायर मूल आवेदन संख्या 363/2023 में इसका निराकरण हो गया था। इस आवेदन में भी समान शिकायतें उठाई गई थीं। एनजीटी ने उस मामले में भी अपना निर्णय दिया था।
न्यायाधिकरण ने कहा कि नया आवेदन स्वीकार्य नहीं है। इसमें कथित उल्लंघनों के सटीक स्थान निर्दिष्ट नहीं हैं। एक ही मुद्दे को बार-बार उठाना उचित नहीं है। इसलिए प्राधिकरण ने इस शिकायत को खारिज कर दिया।
संयुक्त समिति ने पहले कर लिया था निरीक्षण
हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिलावन अधिकारी ने पहले ही निरीक्षण कर लिया था। दोनों ने मिलकर एक संयुक्त समिति का गठन किया था। इस समिति ने परियोजना स्थल का दौरा किया था। उसने अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्राधिकरण के सामने पेश की थी।
इस रिपोर्ट में सभी पहलुओं की जांच की गई थी। समिति ने परियोजना की वास्तविक स्थिति का आकलन किया था। उसने अपने निष्कर्षों को विस्तार से प्रस्तुत किया था। यह रिपोर्ट पहले की कार्यवाही का हिस्सा थी।
नई शिकायत दायर करने के निर्देश
एनजीटीने आवेदनकर्ता को एक रास्ता सुझाया है। उन्हें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव के पास जाना चाहिए। वहां विस्तृत शिकायत प्रस्तुत करनी चाहिए। शिकायत में सटीक स्थान और उल्लंघन का विवरण देना चाहिए।
प्राधिकरण ने बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह ऐसी शिकायत मिलने पर कार्रवाई करे। बोर्ड को कानून के अनुसार उचित कदम उठाने होंगे। यदि कोई उल्लंघन पाया जाता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। इससे पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित होगा।
आपातकालीन आवेदन का विकल्प
प्राधिकरण नेस्पष्ट किया कि किसी भी शेष शिकायत के लिए विकल्प मौजूद है। आपातकालीन या निष्पादन आवेदन दायर किया जा सकता है। यदि अनुपालन नहीं हो रहा है तो इस माध्यम से सहायता ली जा सकती है। कानून में यह प्रावधान पहले से मौजूद है।
आवेदनकर्ता को इन वैधानिक उपायों का उपयोग करना चाहिए। बिना किसी ठोस सबूत के बार-बार शिकायत करना उचित नहीं है। सटीक जानकारी के साथ ही शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इससे मामले का त्वरित निपटारा हो सकेगा।
सुन्नी डैम जल विद्युत परियोजना
सुन्नीडैम जल विद्युत परियोजना शिमला जिले के सन्नी तहसील में स्थित है। यह परियोजना सतलुज नदी पर बनाई जा रही है। इससे बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। परियोजना निर्माण के दौरान पर्यावरणीय मानदंडों का पालन जरूरी है।
परियोजना से जुड़े कई मुद्दे पहले भी उठाए जा चुके हैं। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। प्राधिकरण ने इन मुद्दों पर पहले भी सुनवाई की है। अब नई शिकायत को दोहराव वाला बताया गया है।
पर्यावरण संरक्षण और विकास का संतुलन
इस मामलेने एक बड़ा सवाल उठाया है। विकास परियोजनाओं और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। सरकार का दावा है कि वह सभी मानदंडों का पालन कर रही है। लेकिन नागरिक समाज की चिंताएं भी महत्वपूर्ण हैं।
एनजीटी जैसे संस्थान इस संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे शिकायतों की निष्पक्ष जांच करते हैं। गलत कार्यों पर रोक लगाते हैं। साथ ही निराधार शिकायतों को भी खारिज करते हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता बनी रहती है।
