New Rules 1st October 2025: एक अक्टूबर 2025 से देशभर में कई नए नियम लागू होने जा रहे हैं। ये बदलाव आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे। रेलवे टिकट बुकिंग से लेकर पेंशन योजनाओं तक, हर क्षेत्र में संशोधन हुए हैं। त्योहारी सीजन में इनका असर घरेलू बजट पर भी दिखाई देगा। इनमें रसोई गैस के दामों में संभावित बदलाव सबसे महत्वपूर्ण है।
रेलवे टिकट बुकिंग में बड़ा बदलाव
भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग प्रक्रिया में एक अहम बदलाव किया है। एक अक्टूबर से ट्रेन आरक्षण खुलने के शुरुआत के पंद्रह मिनट तक केवल आधार सत्यापित यूजर्स ही टिकट बुक कर सकेंगे। यह नियम आईआरसीटीसी की वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन पर लागू होगा। इसका मुख्य उद्देश्य टिकटों की फर्जी बुकिंग पर रोक लगाना है। इस कदम से असली यात्रियों को टिकट मिलने में आसानी होगी।
पेंशन योजनाओं में शुल्क संरचना में संशोधन
पेंशन फंड नियामक प्राधिकरण ने अपनी योजनाओं की फीस स्ट्रक्चर में बदलाव किया है। एनपीएस, यूपीएस, एपीवाई और एनपीएस लाइट जैसी योजनाओं में अब पीआरएएन कार्ड और वार्षिक रखरखाव शुल्क अलग से लिया जाएगा। यह बदलाव एक अक्टूबर से प्रभावी होगा। हालांकि यह शुल्क मामूली है, लेकिन इससे ग्राहकों के खातों पर थोड़ा असर पड़ेगा। नई प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित बताया जा रहा है।
यूपीई से हट रहा महत्वपूर्ण फीचर
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। एक अक्टूबर से यूपीआई का पीयर-टू-पीयर कलेक्ट रिक्वेस्ट फीचर पूरी तरह बंद हो जाएगा। इस फीचर के जरिए यूजर एक-दूसरे को पैसे मांगने की रिक्वेस्ट भेज सकते थे। धोखाधड़ी की घटनाओं में वृद्धि के कारण यह कदम उठाया गया है। अब सभी बैंकिंग और पेमेंट ऐप्स पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं रहेगी।
रसोई गैस सिलेंडर के दामों पर नजर
तेल विपणन कंपनियां एक अक्टूबर से एलपीजी सिलेंडर, सीएनजी और पीएनजी की कीमतों की समीक्षा करेंगी। अप्रैल महीने के बाद से रसोई गैस के दाम स्थिर बने हुए हैं। त्योहारों के मौसम में गैस सिलेंडर की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में दामों में होने वाला कोई भी बदलाव सीधे घरेलू बजट को प्रभावित करेगा। ग्राहकों को राहत मिल सकती है या फिर खर्च बढ़ सकता है।
ये सभी नए नियम आम जनता के वित्तीय और सामाजिक जीवन से जुड़े हुए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है। हालांकि, इनके व्यावहारिक प्रभाव का असर समय के साथ ही स्पष्ट हो पाएगा। सरकार और नियामक संस्थाएं इन कदमों को जनहित में बताती हैं।
