शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष की अनकही कहानी

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India News: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेष। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का रास्ता चुना और आजाद हिंद फौज का गठन किया। 1943 में सिंगापुर में अंतरिम सरकार बनाकर उन्होंने भारत की आजादी के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाया।

गांधी जी से मतभेद और कांग्रेस छोड़ना

1939 में सुभाष चंद्र बोस दूसरी बार कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए। लेकिन महात्मा गांधी से मतभेदों के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। 1940 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने गांधी जी को पत्र लिखकर सहयोग की पेशकश की। गांधी जी ने जवाब दिया कि उनके रास्ते अलग हैं।

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जर्मनी और जापान से समर्थन

1941 में नेताजी भारत से गुप्त रूप से निकलकर जर्मनी पहुंचे। वहां उन्होंने आजाद हिंद फौज के गठन की योजना बनाई। 1943 में वे जापान पहुंचे और रास बिहारी बोस से इंडियन नेशनल आर्मी की कमान संभाली। उनका नारा था – “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”

आजाद हिंद सरकार का गठन

21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार का गठन हुआ। जापान, जर्मनी और इटली समेत 9 देशों ने इसे मान्यता दी। नेताजी ने अंडमान-निकोबार को “शहीद द्वीप” और “स्वराज द्वीप” नाम दिया।

भारत की ओर बढ़ते कदम

1944 में आजाद हिंद फौज ने भारत की सीमा में प्रवेश किया। इम्फाल और कोहिमा की लड़ाई में उन्होंने अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। मौसम और सप्लाई की कमी के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा।

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रहस्यमयी मौत

18 अगस्त 1945 को ताइवान में विमान दुर्घटना में नेताजी की मौत की खबर आई। लेकिन यह घटना आज भी रहस्य बनी हुई है। उनके अनुयायियों का मानना है कि वे जीवित थे और गुप्त रूप से भारत लौटे थे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उनकी वीरता और देशभक्ति आज भी युवाओं को प्रेरित करती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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