शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

नेपाल संकट: राजपूत-ब्राह्मण सत्ता संघर्ष और राजशाही की वापसी की मांग, जानें क्या रहा Gen-Z आंदोलन का प्रमुख कारण

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Kathmandu News: नेपाल में भ्रष्टाचार और नेपोटिज्म के खिलाफ उठे युवाओं के गुस्से ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंका है। ओली का इस्तीफा और उनके हेलीकॉप्टर से फरार होने के बाद अब एक वायरल वीडियो में जनता द्वारा ‘जय राजा की’ के नारे लगाए जाने ने देश में एक नए राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।

नेपाल के वर्तमान संकट की जड़ें दशकों पुरानी हैं। 1996 में पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’ ने तत्कालीन राजशाही के खिलाफ माओवादी आंदोलन की शुरुआत की थी। यह आंदोलन गरीबी और असमानता के खिलाफ था। प्रचंड और उनके सहयोगी, जिनमें केपी ओली भी शामिल थे, अधिकतर ब्राह्मण समुदाय से थे।

2005 में राजा ज्ञानेंद्र द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद जनआक्रोश और बढ़ गया। अंततः 2008 में संविधान सभा ने बहुमत से 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया। नेपाल एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इस गृहयुद्ध में 16,000 से अधिक लोगों की जान गई।

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राजशाही के अंत ने राजपूत समुदाय को नाराज कर दिया। नेपाल में छेत्री या क्षत्रिय कहे जाने वाले इस समुदाय की आबादी 16.6% है। सदियों से सत्ता में रहने के बाद वे अचानक सामान्य नागरिक बन गए। उनकी जगह सत्ता में ब्राह्मणों का दबदबा कायम हो गया।

लोकतंत्र की स्थापना के बाद भी सत्ता का केंद्र ब्राह्मण ही बने रहे। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेना प्रमुख जैसे प्रमुख पदों पर इस समुदाय का कब्जा रहा। नेपाल की 12.2% आबादी वाले ब्राह्मणों ने शासन व्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।

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यही जातिगत असंतुलन वर्तमान राजनीतिक संकट का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। आम जनता इस बात से नाराज है कि लोकतंत्र में भी सत्ता का लाभ सिर्फ एक समुदाय को मिल रहा है। भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से तंग आकर कई लोग अब राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं।

वायरल हो रहा वीडियो इसी सामाजिक असंतोष का प्रतीक है। जनता द्वारा राजशाही के नारे लगाना एक ऐसी व्यवस्था के प्रति मोह को दर्शाता है जो समानता का भ्रम पैदा करती थी। हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि नेपाल का भविष्य किस राह पर जाएगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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