Lucknow News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लोक गायिका नेहा सिंह राठौर की याचिका खारिज कर दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। कोर्ट ने उन्हें पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। नेहा को 26 सितंबर को जांच अधिकारी के सामने पेश होना होगा।
नेहा सिंह राठौर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। वह देश विदेश के मुद्दों पर अपने विचार रखती हैं। उनके पोस्ट अक्सर चर्चा में रहते हैं। इसी कड़ी में उनके एक पोस्ट पर एफआईआर दर्ज की गई थी। यह पोस्ट पहलगाम हमले के बाद का था।
कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की पीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि आरोप प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का संकेत देते हैं। इसलिए पुलिस जांच उचित है। अदालत ने पोस्ट के समय को भी अहम बताया।
मामले की पृष्ठभूमि
लखनऊ के हजरतगंज थाने में अप्रैल में एफआईआर दर्ज हुई थी। नेहा ने एक्स प्लेटफॉर्म पर विवादित पोस्ट किया था। इसमें प्रधानमंत्री और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
याचिका में दिए तर्क
नेहा के वकील ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि विचार व्यक्त करना मौलिक अधिकार है। राज्य का कोई अधिकारी इस अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया।
कोर्ट की टिप्पणी
अदालत ने कहा कि पोस्ट में प्रधानमंत्री के नाम का अपमानजनक इस्तेमाल हुआ। साथ ही बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए गए। कोर्ट ने इसे जांच का विषय माना। नेहा को जांच में पूरा सहयोग देना होगा। पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक प्रक्रिया जारी रहेगी।
नेहा सिंह राठौर अब तक सोशल मीडिया पर सक्रिय थीं। उनके पोस्ट राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित रहे। इस मामले ने उनकी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। अब उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
यह मामला सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की सीमाओं को दर्शाता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मौलिक अधिकार निरपेक्ष नहीं हैं। सभी नागरिकों को कानून का सम्मान करना चाहिए। इस फैसले से अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए भी संदेश गया है।
