New Delhi: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। साल 2023 में साइबर अपराधों में 31.2 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई। वहीं अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों में भी 28.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। देश भर में साइबर अपराध के 86,420 नए मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़े देश में बढ़ते साइबर खतरे की ओर इशारा करते हैं।
हत्या के मामलों में मामूली गिरावट देखने को मिली है। साल 2023 में हत्या के 27,721 मामले दर्ज हुए। यह पिछले साल के मुकाबले 2.8 प्रतिशत कम है। हत्या के सबसे अधिक मामले आपसी विवाद के कारण हुए। इस श्रेणी में 9,209 मामले दर्ज किए गए। व्यक्तिगत दुश्मनी के 3,458 मामले सामने आए।
महिलाओं के खिलाफ अपराध
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। यहां 66,381 मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र में 47,101 और राजस्थान में 45,450 मामले सामने आए। तेलंगाना में प्रति लाख महिला जनसंख्या पर अपराध दर 124.9 रही। यह देश में सबसे अधिक है। राजस्थान में यह दर 114.8 और ओडिशा में 112.4 दर्ज की गई।
बलात्कार के कुल 29,670 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 28,821 मामले अठारह वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के साथ थे। कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के 849 मामले सामने आए। बलात्कार के प्रयास के 2,796 मामले दर्ज किए गए। दहेज हत्या के 6,156 मामले दर्ज हुए।
राज्यवार अपराध दर
दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,000 से अधिक मामले दर्ज हुए। यह संख्या राष्ट्रीय राजधानी के लिए चिंता का विषय है। हत्या के मामले में दिल्ली में 506 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 242 मामले आपसी विवाद के कारण हुए। मामूली कहासुनी में 115 हत्याएं हुईं।
आयु वर्ग के हिसाब से देखें तो 18 से 30 साल के युवाओं की हत्या के 221 मामले सामने आए। 30 से 45 साल की उम्र के लोगों की हत्या के 196 मामले दर्ज किए गए। किशोर अपराध के 18 मामले दर्ज हुए। यह आंकड़े युवा वर्ग में बढ़ती हिंसा की ओर इशारा करते हैं।
साइबर अपराधों में उछाल
साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। साल 2022 में 65,893 मामले दर्ज हुए थे। साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 86,420 हो गई। इस तरह साइबर अपराधों में 31.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। डिजिटल दुनिया में यह रुझान चिंताजनक है। साइबर सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत है।
जनजातियों के खिलाफ अपराध के मामले में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। साल 2022 में 10,064 मामले दर्ज हुए थे। साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 12,960 हो गई। इस तरह 28.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अपराध दर 9.6 से बढ़कर 12.4 प्रति लाख जनसंख्या पर पहुंच गई।
बच्चों के खिलाफ यौन अपराध
पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों के साथ बलात्कार के 40,046 मामले दर्ज किए गए। यौन उत्पीड़न के 22,149 मामले सामने आए। यौन प्रताड़ना के 2,778 मामले दर्ज हुए। पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों के इस्तेमाल के 698 मामले दर्ज किए गए। यह आंकड़े बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों की ओर इशारा करते हैं।
महिलाओं के खिलाफ क्रूरता के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए। धारा 498ए के तहत 1,33,676 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के अपहरण के 88,605 मामले सामने आए। महिलाओं की गरिमा भंग करने के 83,891 मामले दर्ज हुए। आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले दर्ज किए गए।
पुलिस जांच की स्थिति
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार 1,85,961 मामले लंबित थे। साल 2023 में 4,48,211 नए मामले दर्ज किए गए। 987 मामले अन्य जगह स्थानांतरित किए गए। इस तरह कुल 6,35,159 मामले विचाराधीन थे। इनमें से 1,82,219 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए गए। आरोप पत्र दाखिल करने की दर 77.6 प्रतिशत रही।
लंबित मामलों की दर 28.7 प्रतिशत दर्ज की गई। यह आंकड़े न्यायिक प्रक्रिया में तेजी की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में न्याय देरी से मिल रहा है। इस स्थिति में सुधार की जरूरत है। पुलिस और न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है।
