Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश पुलिस का एक और जांबाज सिपाही शहीद हो गया। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में एसटीएफ के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा ने वीरगति प्राप्त की। रविवार को उनका पार्थिव शरीर बालाघाट पुलिस लाइन पहुंचा। यहां उनके साथी जवानों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
जब इंस्पेक्टर आशीष शर्मा का ताबूत खोला गया तो मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। हॉक फोर्स के जवान अपने साथी से आखिरी बार मिलने के लिए एक के बाद एक आते रहे। कई जवान उनके शरीर से लिपटकर रो पड़े। कोई उनके माथे को चूम रहा था तो कोई हाथ पकड़कर सिर्फ सर कहता रह गया।
एसपी का भावुक होना
बालाघाट के पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा जब श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो वह भी खुद को संभाल न सके। एक जवान के एसपी से लिपटकर रोने पर आदित्य मिश्रा की आंखों से आंसू बह निकले। एसपी के इस भावुक पल ने पूरे पुलिस लाइन को सिसकियों से भर दिया। वहां मौजूद हर अधिकारी और कर्मचारी शोक में डूब गया।
इंस्पेक्टर आशीष शर्मा चौवालीस वर्ष के थे और बालाघाट जिले के मूल निवासी थे। उन्होंने साल दो हजार आठ में मध्य प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे। पिछले कई सालों से वह हॉक फोर्स में नक्सल ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। साथी उन्हें प्यार से लायन कहकर बुलाते थे।
शहीद का परिवार
आशीष शर्मा के परिवार में पत्नी, चौदह साल की बेटी और नौ साल का बेटा है। उनकी पत्नी एक शिक्षिका हैं। घर में बुजुर्ग माता-पिता भी रहते हैं। जब शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव लालबर्रा पहुंचा तो पूरा गांव सड़कों पर उमड़ पड़ा। लोग रोते-बिलखते अपने जांबाज बेटे को आखिरी सलामी दे रहे थे।
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जंगलों में आशीष शर्मा ने दर्जनों सफल ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी। शनिवार को नारायणपुर के जंगलों में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में वह सबसे आगे चल रहे थे। इसी दौरान एक गोली उनके सीने में लगी और वह मौके पर ही शहीद हो गए।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
सोमवार दोपहर शहीद इंस्पेक्टर आशीष शर्मा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। बालाघाट जिले में तीन दिन के शोक की घोषणा की गई है।
पुलिस लाइन में शहीद की विदाई का वह दृश्य हर किसी के दिल में छप गया। जब एक एसपी अपने जवान के लिए खुलकर रो रहा था और पूरी फोर्स उसके दर्द में शामिल हो रही थी। यह सिर्फ एक साथी को खोने का दर्द नहीं था बल्कि एक परिवार के सदस्य को विदाई देने जैसा था।
