Naval News: भारतीय नौसेना ने 18 जुलाई को विशाखापत्तनम में पहला स्वदेशी गोताखोरी पोत निस्तार शामिल किया। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इसे आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बताया। हिंदुस्तान शिपयार्ड ने इसे बनाया। निस्तार 120 मीटर लंबा है। यह 75% स्वदेशी सामग्री से बना है। नौसेना की यह उपलब्धि वैश्विक स्तर पर भारत की ताकत दिखाएगी। निस्तार पनडुब्बी बचाव और गहरे समुद्र में अभियान चलाएगा। यह समारोह ऐतिहासिक रहा।
निस्तार की ऐतिहासिक विरासत
निस्तार का नाम संस्कृत से लिया गया, जिसका अर्थ है मुक्ति। पुराना निस्तार 1971 में नौसेना का हिस्सा था। इसने भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी की पहचान की थी। 1989 में इसे डीकमीशन किया गया। नया निस्तार 10,500 टन का है। यह उन्नत तकनीक से लैस है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि पुराने जहाज नए रूप में लौटते हैं। यह पोत भारत की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है।
उन्नत तकनीक और क्षमता
निस्तार 1000 मीटर गहराई तक बचाव अभियान चला सकता है। यह गहरे समुद्र में गोताखोरी के लिए बनाया गया है। पोत में रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स और डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल हैं। यह चुनिंदा नौसेनाओं की क्षमता को दर्शाता है। निस्तार मदर शिप के रूप में भी काम करेगा। यह पनडुब्बी आपातकाल में चालक दल को बचाएगा। नौसेना के अनुसार, 120 MSME ने इसके निर्माण में योगदान दिया। यह भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।
वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान
निस्तार भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाएगा। यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर पनडुब्बी बचाव में भारत को अग्रणी बनाएगा। संजय सेठ ने कहा कि यह विकसित भारत का प्रतीक है। पोत में 300 मीटर तक सैचुरेशन डाइविंग की क्षमता है। यह 60 दिन तक समुद्र में रह सकता है। इसमें अस्पताल और डीकम्प्रेशन चैंबर हैं। निस्तार भारत के समुद्री अभियानों को नई दिशा देगा। यह आत्मनिर्भरता की मिसाल है।
