शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

नवरात्रि: भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में देवी के इन स्वरूपों की होती है विशेष पूजा

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India News: शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के शक्तिपीठों में भक्तों का तांता लग जाता है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का समय है। शक्तिपीठों को देवी सती के पवित्र अवशेषों वाले स्थल माना जाता है। मान्यता है कि इन स्थानों पर देवी की विशेष शक्ति विद्यमान रहती है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी सती के 51 शक्तिपीठ भारत और आसपास के क्षेत्रों में स्थित हैं। प्रत्येक शक्तिपीठ का अपना विशेष महत्व और कथा है। नवरात्रि में इन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। भक्तगण दूर-दूर से इन पवित्र स्थलों के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।

उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठ

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी शक्तिपीठ स्थित है। मान्यता है कि यहां देवी सती का बायां नेत्र गिरा था। इसीलिए इस स्थान का नाम नैना देवी पड़ा। यहां की पूजा से नेत्र संबंधी रोगों में लाभ की मान्यता है। नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर स्थित है मणिकर्णिका शक्तिपीठ। कहा जाता है कि यहां देवी सती का दाहिना कान और कुंडल गिरा था। इस स्थान को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला माना जाता है। यहां की पूजा से जीवन में शांति और सकारात्मकता आती है।

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मध्य प्रदेश के उज्जैन में हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यहां देवी सती की कोहनी गिरी थी। देवी को शक्ति और स्वास्थ्य की रक्षक माना जाता है। मंदिर में राजा विक्रमादित्य द्वारा अर्पित 11 सिरों के प्रतीक स्थापित हैं।

पश्चिम और पूर्वी भारत के शक्तिपीठ

गुजरात के बनासकांठा जिले में अंबाजी शक्तिपीठ स्थित है। यहां देवी सती का हृदय गिरा था जिससे इस स्थान की पवित्रता और बढ़ गई। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां कोई मूर्ति नहीं है। यहां ‘श्री विसा यंत्र’ की पूजा की जाती है।

पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में बहुला देवी शक्तिपीठ स्थित है। मान्यता है कि यहां देवी सती का बायां हाथ गिरा था। यह स्थान नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है। देवी बहुला की पूजा से मानसिक शांति मिलती है।

ओडिशा के पुरी में विमला देवी शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि यहां देवी सती की नाभि गिरी थी। विमला देवी को जगन्नाथ मंदिर की रक्षक देवी माना जाता है। यहां पहले देवी की पूजा होती है फिर प्रसाद भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया जाता है।

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अन्य प्रमुख शक्तिपीठों का महत्व

गुजरात के पावागढ़ में कालिका देवी शक्तिपीठ स्थित है। मान्यता है कि यहां देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था। इस शक्तिपीठ को शक्ति और साहस की देवी के रूप में पूजा जाता है। नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

तमिलनाडु के कांचीवेरम में कांची देवगर्भ शक्तिपीठ स्थित है। कहा जाता है कि यहां देवी सती का कंकाल गिरा था। इस स्थान को ज्ञान और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक माना जाता है। यहां की शक्ति ‘देवगर्भा’ और भैरव ‘रुरु’ के नाम से जाने जाते हैं।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज शक्तिपीठ स्थित है। मान्यता है कि यहां देवी सती का सिर गिरा था। यह स्थान दूरदराज में स्थित होने के बावजूद श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर साल यहां हिंगलाज यात्रा का आयोजन होता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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