Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों में अश्विन नवरात्र मेले की तैयारियां पूरी हो गई हैं। मेला 22 सितंबर से पहली अक्तूबर तक चलेगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस ने व्यापक इंतजाम किए हैं। करीब 1100 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों से पूरे इलाके पर नजर रखी जाएगी।
मंदिर परिसरों को फूलों और रोशनी से सजाया गया है। एक आकर्षक और भव्य माहौल बनाया गया है। प्रशासन ने मेले के दौरान कुछ गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी है। इनमें ढोल-नगाड़े बजाना और लाउडस्पीकर का उपयोग शामिल है।
प्लास्टिक और थर्मोकोल के इस्तेमाल पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। माल वाहनों में सवारियों को लाने की भी मनाही है। इन सख्त कदमों का उद्देश्य भक्तों के लिए सुरक्षित और शांतिपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करना है।
चिंतपूर्णी मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था
चिंत पूर्णी मंदिर में मेले की सुरक्षा के लिए 350 पुलिस और होमगार्ड जवान तैनात किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र को सात अलग-अलग सेक्टरों में बांटा गया है। एएसपी ऊना ने बताया कि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। निगरानी के आधुनिक साधनों का उपयोग किया जाएगा।
नयनादेवी मंदिर की तैयारियां
बिलासपुर जिले के नयना देवी मंदिर में 450 सुरक्षा कर्मी ड्यूटी पर रहेंगे। यहां मेला क्षेत्र को नौ सेक्टरों में विभाजित किया गया है। डीएसपी नयना देवी को पुलिस मेला अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनकी देखरेख में सभी व्यवस्थाएं संचालित होंगी।
ज्वालाजी मंदिर में सुरक्षा के लिए 100 जवानों की तैनाती की गई है। एसपी देहरा ने बताया कि क्षेत्र को छह सेक्टरों में बांटा गया है। यहां भी ड्रोन और सीसीटीवी की मदद से नजर रखी जाएगी। हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर पैनी नजर रहेगी।
बज्रेश्वरी देवी और चामुंडा देवी मंदिरों में संयुक्त रूप से 200 जवान तैनात किए गए हैं। डीआईजी ने कहा कि सभी शक्तिपीठों की सुरक्षा को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। कमांडो और क्यूआरटी की टीमें भी अलर्ट मोड पर हैं।
पुलिस का मानना है कि इन उपायों से मेला सुचारू रूप से संपन्न होगा। श्रद्धालु बिना किसी डर के दर्शन कर सकेंगे। प्रशासन की कोशिश है कि नवरात्र के पावन मौके पर किसी प्रकार की अनहोनी न हो। सभी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
