Himachal News: मंडी में प्राकृतिक खेती विषय पर आयोजित दो दिवसीय मंडल स्तरीय कार्यशाला का आज सफलतापूर्वक समापन हो गया। इस कार्यक्रम में मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और लाहौल-स्पीति जिलों के सैकड़ों प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। यह प्रदेश में मंडल स्तर पर आयोजित की गई दूसरी ऐसी कार्यशाला थी।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी ने किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक उत्पादों की बढ़ती मांग किसानों के लिए आय के नए अवसर खोल रही है। यह कार्यशाला सरकार के निर्देशानुसार आयोजित की गई थी।
प्राकृतिक उत्पादों पर एमएसपी की घोषणा
हेमिस नेगी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य ने प्राकृतिक उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस नीति का उद्देश्य अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करना है।
राज्य सरकार गेहूं, मक्की, जौ और हल्दी जैसी फसलों पर विशेष एमएसपी प्रदान कर रही है। यह कदम किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। natural farming अपनाने वाले किसानों को इससे सीधा लाभ मिलेगा।
उत्पादों के विपणन के नए रास्ते
राज्य परियोजना निदेशक ने बताया कि किसानों के प्राकृतिक उत्पादों को राज्य से बाहर बेचने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश में सात फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां गठित की गई हैं। ये कंपनियां उत्पादों के विपणन और बाजार संपर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से भी प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा रहा है। फिल्पकार्ट जैसे प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर हिमाचल के organic farming उत्पादों को उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है।
मार्केटिंग सेल की स्थापना की योजना
सरकार ने एसपीआईयू में एक समर्पित मार्केटिंग सेल स्थापित करने की योजना बनाई है। यह प्रस्ताव जल्द ही सरकार के पास भेजा जाएगा। इस सेल का मुख्य उद्देश्य किसानों को सीधे बाजार तक पहुंच प्रदान करना है।
इस initiative से किसानों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल सकेगा। बिचौलियों की भूमिका कम होने से किसानों की आय में वृद्धि होगी। यह कदम कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।
विशेषज्ञों ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने प्राकृतिक खेती के तकनीकी, जैविक और विपणन पक्षों पर विस्तृत जानकारी दी। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ मनदीप कुमार ने देसी गाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि देसी गाय न केवल जैविक खाद निर्माण का आधार है बल्कि प्राकृतिक खेती प्रणाली की आत्मा भी है। इससे किसानों को रासायनिक खादों से मुक्ति मिलती है और लागत में कमी आती है।
मृदा स्वास्थ्य और फसल बीमा पर जागरूकता
कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक डॉ नेहा चौहान ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वस्थ मिट्टी ही स्वस्थ फसल का आधार होती है। प्राकृतिक तरीकों से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना आवश्यक है।
कृषि फसल बीमा योजना के प्रतिनिधि चन्द्रशेखर ने किसानों को फसल बीमा की प्रक्रिया और लाभों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि फसल बीमा किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है।
हिम भोग ब्रांड के तहत विपणन
एपीएमसी मंडी के सचिव भूपेंद्र ठाकुर ने प्राकृतिक उत्पादों के विपणन के अवसरों पर चर्चा की। उन्होंने ‘हिम भोग’ ब्रांड के माध्यम से किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करने के तरीकों की जानकारी दी। यह ब्रांड हिमाचल के उत्पादों की एक अलग पहचान बना रहा है।
एसपीआईयू के उप निदेशक डॉ मोहिंदर भवानी ने राज्य और केंद्र प्रायोजित प्राकृतिक खेती योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर विस्तार से बताया।
किसानों ने साझा किए अनुभव
कार्यशाला में कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति जिलों के प्रगतिशील किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने से हुए सकारात्मक बदलावों के बारे में बताया। इन किसानों ने अपनी सफलता की कहानियां प्रस्तुत कीं।
किसानों ने बताया कि प्राकृतिक खेती ने न केवल उनकी लागत कम की बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार किया। इससे उन्हें बाजार में बेहतर मूल्य मिलने लगा है। उनके अनुभव अन्य किसानों के लिए प्रेरणादायक साबित हुए।
