Himachal News: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती ने किसानों की आय बढ़ाने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। प्रदेश के कोने-कोने में हजारों किसान अब रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक तरीके अपना रहे हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षित खाद्यान्न उत्पादन भी सुनिश्चित हो रहा है।
मुख्यमंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन की ग्राम पंचायत ग्वालपत्थर के किसान प्राकृतिक खेती में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। गांव जमनोटी के किसान कमल किशोर ने प्राकृतिक खेती अपनाकर अच्छा मुनाफा कमाया है। वह केवल गोबर की खाद और जीवामृत का प्रयोग करते हैं।
कुसुम लता और मदन लाल की सफलता
जमनोटी के पास ही रहने वाली कुसुम लता और उनके पति मदन लाल ने तीन वर्ष पहले प्राकृतिक खेती शुरू की। कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के अधिकारियों ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया। अब वे विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं।
मदन लाल होमगार्ड्स से रिटायर होने के बाद पूरी तरह खेती में जुट गए। वह लगभग पांच कनाल भूमि पर शुद्ध प्राकृतिक खेती करते हैं। उन्होंने मूली, फूल गोभी, बंद गोभी, पीली गोभी, ब्रॉकली और मटर जैसी सब्जियां लगाई हैं।
प्राकृतिक खेती से तैयार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और पौष्टिक होती हैं। बाजार में इन्हें अच्छे दाम मिलते हैं। कुसुम लता और मदन लाल एक सीजन में ढाई से तीन लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रहे हैं।
खेती का खर्च हुआ कम
कुसुम लता और मदन लाल ने अपने खेतों में किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया। इसी तरह कमल किशोर भी केवल प्राकृतिक तरीकों से खेती करते हैं। फसलों में कीड़े लगने पर वह जीवामृत और घर में बने घोल का छिड़काव करते हैं।
कमल किशोर का कहना है कि प्राकृतिक खेती से उनका खर्च लगभग शून्य हो गया है। उन्हें महंगे रासायनिक खाद और कीटनाशक खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। पैदावार भी अच्छी हो रही है और जमीन की उर्वरा शक्ति बनी हुई है।
बाजार में मिल रहे अच्छे दाम
इस प्रकार प्राकृतिक खेती से किसानों को दोहरा लाभ मिल रहा है। एक ओर उनका उत्पादन खर्च कम हुआ है तो दूसरी ओर उत्पादों के बेहतर दाम मिल रहे हैं। साथ ही मिट्टी की सेहत भी सुधर रही है और पर्यावरण को लाभ हो रहा है।
पूरे प्रदेश में फैल रही है क्रांति
हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। नादौन क्षेत्र के किसानों की सफलता ने अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है। अब पूरे प्रदेश में किसान इस पद्धति को अपना रहे हैं।
कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए तकनीकी मार्गदर्शन दे रहे हैं। आत्मा परियोजना के तहत किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इससे प्रदेश में कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।