World News: रूस के सस्ते कामिकेज़ ड्रोन ने NATO की महंगी मिसाइल रक्षा प्रणाली की कमजोरी उजागर कर दी है। 10 सितंबर की रात, पोलैंड की हवाई सीमा में घुस आए इन ड्रोनों को गिराने के लिए NATO को लाखों डॉलर की मिसाइलें दागनी पड़ीं। इस घटना के बाद यूरोपीय देशों ने यूक्रेन से सस्ते और कारगर एंटी-ड्रोन सिस्टम मांगना शुरू कर दिया है।
रूस ने अपनी एक नई रणनीति के तहत पोलैंड पर ड्रोन हमला किया। ये ड्रोन सिर्फ प्लाईवुड और फोम से बने हुए थे और इनकी कीमत मात्र दस हजार डॉलर थी। इन्हें रोकने के लिए NATO को चार लाख डॉलर की साइडवाइंडर मिसाइल का इस्तेमाल करना पड़ा। यह एक बेहद घाटे का सौदा साबित हुआ।
NATO की सेना ने तुरंत अपने F-16 और F-35 जैसे लड़ाकू विमानों को तैनात किया। AWACS विमान और एयर टैंकर भी सक्रिय हो गए। पैट्रियट मिसाइल सिस्टम जैसी उन्नत तकनीक को भी अलर्ट पर रखा गया। लेकिन रूस की लो-कॉस्ट वॉर स्ट्रैटेजी के आगे ये सभी महंगे उपाय बेअसर साबित हुए।
यूरोप ने यूक्रेन से मांगी मदद
इस हमले ने यूरोप की नींद उड़ा दी है। एक यूरोपीय सैन्य राजनयिक ने कहा कि अब युद्ध के लिए तैयारी करनी होगी। इसके लिए यूक्रेन से सीखना सबसे जरूरी है। कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, हमले के कुछ ही घंटों बाद यूक्रेनी डिफेंस फर्मों के पास पूछताछ का सिलसिला शुरू हो गया।
पोलैंड, जर्मनी, डेनमार्क और बाल्टिक देशों ने यूक्रेन से संपर्क किया। Triada Trade Partners नामक कंपनी के अनुसार, सबसे ज्यादा मांग इंटरसेप्टर ड्रोन की है। रूस ने दिखा दिया है कि वह NATO देशों पर सीधा हमला करने से नहीं डरता। इसलिए अब NATO को तुरंत एक सस्ता और प्रभावी समाधान चाहिए।
यूक्रेन के इंटरसेप्टर ड्रोन पर टिकी नजर
यूक्रेन ने तीन महीने पहले ही एक सस्ता इंटरसेप्टर ड्रोन सिस्टम पेश किया था। ये ड्रोन महज पांच हजार डॉलर के हैं और विस्फोटक ले जाने में सक्षम हैं। ये तेज गति से चलते हैं और ज्यादा ऊंचाई तक जा सकते हैं। NATO को यही तकनीक चाहिए जो सस्ती भी हो और कारगर भी।
NATO के पास अरबों डॉलर की लागत से बनी मिसाइल रक्षा प्रणाली है। ये सिस्टम महंगी क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन रूस दस हजार डॉलर के साधारण ड्रोन भेजकर इन्हें बेकार साबित कर रहा है। इससे NATO की रणनीति में एक बड़ा छेद नजर आया है।
इस बीच, रूस ने शांति वार्ता को लेकर एक नया बयान दिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि बातचीत के चैनल खुले हैं। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जल्दबाजी में कोई नतीजा नहीं निकलेगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मिलने से इनकार कर चुके हैं।
यूक्रेन का कहना है कि बिना शिखर सम्मेलन के गतिरोध टूटना मुश्किल है। लेकिन यूरोप अब इस गतिरोध से ज्यादा अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। रूस की सस्ती युद्ध रणनीति ने पूरे NATO गठबंधन को एक नई चुनौती दे दी है। अब यूरोप की नजरें यूक्रेन के जुगाड़ू लेकिन असरदार हथियारों पर टिकी हैं।
