Rohtak News: महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में 30-31 अगस्त को दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। भारत ज्ञान-विज्ञान समिति और अखिल भारतीय जन-विज्ञान नेटवर्क ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन, वैज्ञानिक चेतना और युवाओं में नशे की समस्या जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
बहु-राज्यीय भागीदारी
इस कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान और हरियाणा से लगभग 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया। समिति के राज्याध्यक्ष प्रमोद गौरी ने बताया कि इसका उद्देश्य दिसंबर 2024 की राष्ट्रीय कांग्रेस के निर्णयों को लागू करने के उपायों पर चर्चा करना था। एआईपीएसएन की राष्ट्रीय महासचिव आशा मिश्रा ने जन-विज्ञान आंदोलन को मजबूत बनाने पर जोर दिया।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर जोर
डॉ. प्रमोद गौरी ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही समाज को समस्याओं से उबार सकता है। विज्ञान ने मानव समाज को दिशा दी है। महान वैज्ञानिकों ने इसके लिए अपना जीवन समर्पित किया है। जोगिंदर वालिया ने जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ों में हो रहे भूमि कटाव पर चिंता व्यक्त की।
भविष्य की योजनाएं
कार्यशाला में भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा हुई। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, जेंडर समानता और युवा बचाओ अभियान जैसे विषयों पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित करने का निर्णय लिया गया। हिमाचल के प्रतिनिधियों ने वैज्ञानिक मानसिकता, शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपने अनुभव साझा किए।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
हिमाचल से लोकगायिका कृष्णा ठाकुर और अन्य कलाकारों ने प्रगतिशील गीत प्रस्तुत किए। सत्यवान पुंडीर, अंकित दुबे, रित्विक और विनय ने सत्रों को जीवंत बनाया। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने कार्यशाला के वैज्ञानिक विमर्श को समृद्ध किया। सभी प्रतिभागियों ने सामूहिक नेतृत्व के विकास पर सहमति व्यक्त की।
