शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024: छत्तीसगढ़ का राजनांदगांव जिला ईस्ट जोन में सर्वश्रेष्ठ

Share

Chhattisgarh News: जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2024 के विजेताओं की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले को पूर्वी जोन में बेस्ट डिस्ट्रिक्ट श्रेणी में प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह सम्मान जल संरक्षण और जनभागीदारी के लिए उत्कृष्ट कार्य का परिणाम है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में एक समारोह में यह पुरस्कार प्रदान करेंगी।

यह पुरस्कार प्राप्त करना कोई आसान उपलब्धि नहीं थी। केंद्रीय भूजल बोर्ड और केंद्रीय जल आयोग सहित विभिन्न दलों ने गहन निरीक्षण किया। देश भर के पूर्वी जोन के पांच राज्यों के सभी जिलों में राजनांदगांव ने शीर्ष स्थान हासिल किया। पिछले वर्ष केंद्रीय भूजल मंत्री ने भी जिले के प्रयासों की सराहना की थी। यह जिला वास्तव में जल संरक्षण की मिसाल बन गया है।

जिले में जल संरक्षण का कार्य एक मिशन के रूप में चलाया गया। इसमें प्रशासन, नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, पंचायतों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गांव से लेकर शहर तक हर किसी ने जल बचाओ का संदेश फैलाया। इस जनआंदोलन ने एक बड़ा रूप ले लिया है और अब इसे राष्ट्रीय पहचान मिली है।

जल स्तर सुधारने के लिए ठोस कदम

केंद्रीय भूजल बोर्ड की2021-22 की रिपोर्ट ने चिंता जताई थी। रिपोर्ट में जिले के तीन ब्लॉकों को सेमी-क्रिटिकल जोन बताया गया था। इसका मतलब था कि इन क्षेत्रों में पानी का दोहन 70 प्रतिशत से अधिक हो रहा था। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए मिशन जल रक्षा की शुरुआत हुई। इसका लक्ष्य जल स्तर गिरने की गति को धीमा करना और फिर उसे स्थिर करना था।

यह भी पढ़ें:  बिहार विधानसभा चुनाव: एनडीए की शानदार जीत, नीतीश कुमार ने दिया इस्तीफा

समुदाय की अभूतपूर्व भागीदारी

इस मुहिम कीसबसे बड़ी ताकत जनभागीदारी रही। किसानों ने फसल चक्र बदला और कम पानी वाली फसलों को अपनाया। उन्होंने वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण के काम तेज किए। महिला स्वसहायता समूहों ने नीर और नारी जल यात्रा जैसे अभियान चलाए। पद्मश्री फूलबासन बाई यादव ने गांव-गांव जाकर महिलाओं को जोड़ा और जल संरक्षण का संदेश दिया।

विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने रैलियां, पौधारोपण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। इन युवाओं ने समाज को जल के महत्व के प्रति sensitize किया। उद्योगपतियों ने भी इस मिशन में अपना योगदान दिया। सचमुच, यह पूरे समाज का सामूहिक प्रयास साबित हुआ।

तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का मेल

मिशन जल रक्षामें आधुनिक तकनीक को भी शामिल किया गया। जीआईएस आधारित योजनाएं बनाई गईं। रिचार्ज संरचनाएं, बोरवेल सह इंजेक्शन वेल और परकोलेशन टैंक बनाए गए। पुराने तालाबों और फार्म पॉन्ड को पुनर्जीवित किया गया। इन सभी उपायों से वर्षा के पानी को जमीन के अंदर उतारने में मदद मिली। इससे भूजल स्तर को रीचार्ज करने का प्रयास किया गया।

यह भी पढ़ें:  चुनाव विवाद: इंडिया गठबंधन मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ लाएगा महाभियोग प्रस्ताव, जानें पूरा मामला

जिले की रणनीति स्पष्ट और बहुआयामी रही। इसने भूजल दोहन पर नियंत्रण, वर्षा जल संग्रहण और सामुदायिक भागीदारी को प्राथमिकता दी। यही कारण है कि जल प्रबंधन का यह मॉडल अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। यह सतत विकास की दिशा में एक अभिनव पहल साबित हुई है।

एक और सम्मान की प्रतीक्षा

18 नवंबर 2025 कादिन जिले के लिए और भी खास होगा। इसी दिन नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में राजनांदगांव को एक और सम्मान मिलेगा। जल संचयन में जनभागीदारी की श्रेणी में भी जिले को पुरस्कृत किया जाएगा। यह दोहरी उपलब्धि जिले की कड़ी मेहनत और समर्पण को दर्शाती है।

राजनांदगांव की यह सफलता साबित करती है कि सामूहिक इच्छाशक्ति से बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। जल बचाओ, भविष्य बनाओ की इस मुहिम ने न केवल एक पुरस्कार जीता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सबक छोड़ा है। यह सम्मान सामूहिक जिम्मेदारी और सतत प्रयासों का प्रतीक बन गया है।

Read more

Related News