Himachal News: राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर धर्मशाला में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का मुख्य विषय ‘बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण’ रहा। पुलिस अधीक्षक अशोक रत्न ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
उन्होंने कहा कि मीडिया लोकतंत्र की आधारशिला है और इसकी विश्वसनीयता बनाए रखना जरूरी है। हर पत्रकार को निष्पक्ष और संतुलित रिपोर्टिंग करनी चाहिए। किसी भी समाचार का फॉलो-अप उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पहली रिपोर्ट।
तकनीकी ज्ञान पर जोर
पुलिस अधीक्षक अशोक रत्न ने कहा कि वर्तमान समय में भ्रामक सूचनाओं की पहचान के लिए डाटा टूल्स और तकनीकी माध्यमों का उपयोग जरूरी हो गया है। पुलिस विभाग पत्रकारों को प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने के लिए तैयार है। इससे पत्रकारों को भ्रामक खबरों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। समाचारों के अनुवर्ती कार्य भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी प्रारंभिक रिपोर्टिंग। मीडिया की भूमिका लोकतंत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वैश्विक समस्या बना भ्रामक सूचना का प्रसार
केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के अनुसंधान निदेशक प्रोफेसर प्रदीप नायर ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भ्रामक सूचना आज केवल स्थानीय नहीं बल्कि वैश्विक समस्या बन चुकी है। तथ्य-जांच को पत्रकारिता की मूलभूत प्रक्रिया का हिस्सा बनाना आवश्यक है।
प्रोफेसर नायर ने बताया कि गूगल जैसी वैश्विक संस्थाएं पत्रकारों के लिए फैक्ट-चेकिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करती हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश भी स्थानीय पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर सकता है। इससे पत्रकारों को आधुनिक तकनीकों और सत्यापन उपकरणों का लाभ मिलेगा।
कार्यक्रम में विभिन्न मीडिया प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। सभी ने मीडिया की विश्वसनीयता बनाए रखने पर जोर दिया। भ्रामक सूचनाओं के प्रसार को रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता बताई।
