International News: यूक्रेन के चेरनोबिल में परमाणु आपदा के 40 साल बाद एक अनोखा चमत्कार दिखा है। वैज्ञानिकों ने यहां एक ऐसा कवक (फंगस) खोजा है जो घातक रेडिएशन पर जिंदा है। नासा इस खोज को भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए वरदान मान रहा है। यह फंगस न केवल रेडिएशन से बचता है, बल्कि उसे खाकर अपनी ताकत बढ़ाता है। वैज्ञानिक अब इसका इस्तेमाल चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सुरक्षित घर बनाने में करेंगे।
गामा किरणों को ऊर्जा में बदलता है कवक
रिएक्टर की दीवारों पर ‘क्लैडोस्पोरियम स्फेरोस्पर्मम’ नामक कवक उगता हुआ मिला है। यह गहरे हरे रंग का फफूंद परमाणु विस्फोट की खतरनाक गामा किरणों को सोख लेता है। यह इन किरणों को रासायनिक ऊर्जा में बदल देता है। यह प्रक्रिया बिल्कुल पौधों के प्रकाश संश्लेषण जैसी ही है। शोध में शामिल 47 में से नौ प्रजातियों ने यह खास व्यवहार दिखाया। यह कवक रेडियोधर्मी कणों को फंसाकर उन्हें निष्क्रिय कर देता है।
चांद और मंगल के लिए बनेंगी खास ईंटें
नासा के वैज्ञानिक अब इस कवक से ‘फंगल ईंटें’ बनाने की तकनीक खोज रहे हैं। ये ईंटें चांद और मंगल ग्रह पर बनने वाले बेस के लिए इस्तेमाल होंगी। यह हल्की निर्माण सामग्री भारी सीसे की ढालों से बेहतर काम करेगी। यह अंतरिक्ष यात्रियों को ब्रह्मांडीय विकिरण से बचाएगी। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भी इसका सफल परीक्षण हुआ है। वहां रेडिएशन के संपर्क में आने पर यह कवक 21 गुना तेजी से बढ़ा।
मेलेनिन से मिलती है विकिरण से लड़ने की शक्ति
वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को रेडियोसिंथेसिस नाम दिया है। इस कवक में मेलेनिन की मात्रा काफी ज्यादा होती है। मेलेनिन वही तत्व है जो मानव त्वचा को सूरज की किरणों से बचाता है। जब गामा किरणें कवक के मेलेनिन से टकराती हैं, तो रासायनिक ऊर्जा पैदा होती है। कवक इसी ऊर्जा का उपयोग अपनी वृद्धि के लिए करता है। नासा इसे पृथ्वी पर परमाणु कचरे की सफाई के लिए भी उपयोगी मान रहा है।
इतिहास का सबसे बड़ा परमाणु हादसा
चेरनोबिल आपदा 26 अप्रैल 1986 को हुई थी। यह मानव इतिहास का सबसे बड़ा परमाणु हादसा था। इसके बाद वहां से भारी मात्रा में रेडियोधर्मी पदार्थ निकले थे। लोगों को अपनी जान बचाने के लिए वह पूरा इलाका छोड़ना पड़ा था। उस क्षेत्र को आज चेरनोबिल एक्सक्लूजन जोन (CEZ) कहा जाता है। इतने सालों बाद वहां पनपा यह जीवन विज्ञान के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।
