रविवार, दिसम्बर 21, 2025

NASA हैकाथॉन: भारतीय युवाओं ने जीता शीर्ष पुरस्कार, बनाया सैटेलाइट इंटरनेट मॉडल

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Technology News: चेन्नई की टीम फोटोनिक्स ओडिसी ने नासा का प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत लिया है। टीम ने इंटरनेशनल स्पेस ऐप्स चैलेंज 2025 में शानदार जीत दर्ज की। उन्हें ‘मोस्ट इंस्पिरेशनल अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके स्वदेशी सैटेलाइट इंटरनेट मॉडल के लिए मिला।

इस मॉडल का लक्ष्य देश के दूरदराज इलाकों में इंटरनेट पहुंचाना है। यह सात सौ मिलियन से अधिक लोगों को कनेक्ट कर सकता है। नासा के जज इस इनोवेटिव आइडिया से बहुत प्रभावित हुए। इस जीत ने भारतीय युवाओं की तकनीकी क्षमता को फिर साबित कर दिया।

नासा के वैश्विक हैकाथॉन में भारी भागीदारी

नासा के फ्लैगशिप ग्लोबल हैकाथॉन में इस बार भारी भागीदारी देखी गई। इसमें 167 देशों और क्षेत्रों के लोग शामिल हुए। पांच सौ इक्यावन स्थानीय आयोजनों का आयोजन किया गया। कुल 1 लाख 14 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

यह चैलेंज नासा द्वारा साल 2012 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य वास्तविक समस्याओं का समाधान खोजना है। प्रतिभागी नासा के खुले डेटा का उपयोग करते हैं। यह आयोजन दुनिया भर में नवाचार को बढ़ावा देता है।

भारतीय टीम ने कौन से लोग शामिल थे

विजेता टीम में छह भारतीय युवा शामिल थे। टीम में एम. के., मनीष डी. और प्रशांत जी. का योगदान रहा। राजलिंगम एन., शक्ति आर. और राशि एम. भी टीम का हिस्सा थे। इन सभी ने मिलकर यह सफलता हासिल की।

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इन युवाओं ने अपने अभिनव विचार से सबका ध्यान खींचा। उनका प्रोजेक्ट डिजिटल विभाजन को दूर करने पर केंद्रित है। यह टीम नासा के मानदंडों पर खरी उतरी। उनके प्रयासों को वैश्विक स्तर पर सराहा गया।

फेज्ड-ऐरे तकनीक का किया इस्तेमाल

टीम ने अपने मॉडल में फेज्ड-ऐरे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। इस तकनीक में कई छोटे एंटीना एक साथ काम करते हैं। ये एंटीना इलेक्ट्रॉनिक रूप से सिग्नल की दिशा बदल सकते हैं। इससे सैटेलाइट सिग्नल को बेहतर तरीके से पकड़ा जा सकता है।

यह तकनीक दूरदराज के क्षेत्रों में सिग्नल पहुंचाने में कारगर है। पारंपरिक केबल कनेक्शन की तुलना में यह सस्ता और प्रभावी है। इससे पहाड़ी और ग्रामीण इलाकों को लाभ मिलेगा। यह तकनीक भविष्य के इंटरनेट का आधार बन सकती है।

देश के सात करोड़ लोगों तक पहुंचेगा इंटरनेट

इस परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य देश के उन इलाकों तक पहुंचना है। वहां केबल कनेक्शन लगाना मुश्किल या महंगा है। लगभग सात करोड़ लोग अभी भी ब्रॉडबैंड सुविधा से वंचित हैं। यह मॉडल उन्हें डिजिटल दुनिया से जोड़ने का काम करेगा।

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इससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। डिजिटल भुगतान और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा। यह देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगा।

स्टारलिंक के युग में भारतीय नवाचार

यह सफलता ऐसे समय में आई है जब स्टारलिंक जैसी कंपनियां भारत में प्रवेश कर रही हैं। एलन मस्क की कंपनी भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी में है। इस संदर्भ में भारतीय युवाओं का यह नवाचार महत्वपूर्ण है।

यह साबित करता है कि भारतीय प्रतिभा किसी से कम नहीं है। हम अपने समाधान खुद विकसित कर सकते हैं। यह प्रोजेक्ट आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है। इससे देश की तकनीकी स्वावलंबन को बल मिलेगा।

भविष्य में और विकास की संभावना

इस मॉडल के व्यावसायिक उपयोग की संभावनाएं हैं। टीम अब इसे वास्तविक दुनिया में लागू करने पर काम कर सकती है। सरकार और निजी क्षेत्र की भागीदारी इसे गति दे सकती है। यह डिजिटल इंडिया मिशन को नई ऊर्जा देगा।

नासा की यह प्रतिस्पर्धा भारतीय युवाओं के लिए एक मंच है। यहां उनकी प्रतिभा को वैश्विक पहचान मिलती है। इस जीत से अन्य युवा प्रेरणा ले सकते हैं। भारत में ऐसे और नवाचारों को बढ़ावा मिलना चाहिए।

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