International Desk: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक अमेरिकी अधिकारी की रहस्यमय मौत ने खुफिया जगत में हलचल मचा दी है। ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट के अनुसार टेरेंस अर्वेल जैक्सन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए तैनात किया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत और रूस की खुफिया एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई ने इस कथित हत्या की साजिश को विफल कर दिया।
जैक्सन की मौत उसी दिन हुई जब प्रधानमंत्री मोदी चीन में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे थे। आधिकारिक तौर पर जैक्सन को बांग्लादेश में सेंट मार्टिन द्वीप पर सेना प्रशिक्षण के लिए तैनात दिखाया गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि उसका वास्तविक मिशन कुछ और था।
मोदी-पुतिन की गुप्त बातचीत
शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कार में 45 मिनट तक गुप्त बातचीत की। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस दौरान दोनों नेताओं ने उच्चस्तरीय एजेंडे और दक्षिण एशिया में चल रही खुफिया गतिविधियों पर चर्चा की। यह बातचीत अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दो सितंबर को नई दिल्ली में सेमीकॉन शिखर सम्मेलन में एक रहस्यमयी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा कि क्या आप इसलिए ताली बजा रहे हैं क्योंकि मैं चीन गया था या इसलिए कि मैं वापस आया हूं। विश्लेषकों के अनुसार यह टिप्पणी उनके जीवन को मंडरा रहे संभावित खतरे की ओर इशारा करती है।
दक्षिण एशिया में अमेरिकी गतिविधियां
रिपोर्ट में सीआईए की सक्रियता और भारत विरोधी संभावित प्रयासों पर संदेह जताया गया है। पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में अमेरिकी खुफिया गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। इन गतिविधियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
अमेरिकी अधिकारी की मौत के मामले ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नई उलझनें पैदा कर दी हैं। खुफिया सूत्रों का मानना है कि यह घटना दक्षिण एशिया में गुप्त युद्ध का हिस्सा हो सकती है। विभिन्न देशों की खुफिया एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने अमेरिका और भारत के बीच संबंधों पर नए सिरे से सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इस घटना को दक्षिण एशिया की जटिल भू-राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं। क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ों पर इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना वैश्विक स्तर पर बदलती राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाती है। दक्षिण एशिया में महाशक्तियों की प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है। इस क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं।
