Business News: रिटेल निवेशक लगातार निवेश ज्ञान बढ़ा रहे हैं और बेहतर विकल्प तलाश रहे हैं। म्यूचुअल फंड इसकी प्रमुख पसंद बन रहे हैं। एसआईपी इनफ्लो के बढ़ने से एसेट अंडर मैनेजमेंट भी बढ़ रहा है। निवेशक कम जोखिम वाले विकल्प चुनते हैं जो बैंक रिटर्न से बेहतर हो।
म्यूचुअल फंड में एनएवी की समझ महत्वपूर्ण है। थ्री डॉट्स फिनिट्यूड के फाउंडर ऋषभ राजवंशी ने जागरण बिजनेस के शो में इस विषय पर जानकारी दी। उन्होंने एनएवी की गलतफहमियों को दूर किया।
क्या है एनएवी और इसकी गणना
एनएवी म्यूचुअल फंड की प्रति यूनिट नेट एसेट वैल्यू होती है। यह फंड के कुल एसेट का प्रति यूनिट बाजार मूल्य दर्शाती है। इसकी गणना कुल एसेट में से लायबिलिटी घटाकर कुल आउटस्टैंडिंग यूनिट से भाग देकर की जाती है।
निवेशक फंड हाउस की वेबसाइट और एएमएफआई पर एनएवी ट्रैक कर सकते हैं। ऋषभ राजवंशी के अनुसार यह जानकारी अगले दिन फंड खरीदने या रिडीम करने में मदद करती है। एनएवी फंड के वर्तमान मूल्य पर पारदर्शिता प्रदान करती है।
एनएवी के बारे में सामान्य भ्रम
कम एनएवी का मतलब सस्ता फंड नहीं होता। ऊंची एनएवी का मतलब महंगा फंड नहीं होता। ऋषभ राजवंशी ने बताया कि निवेशक समुदाय में यह सबसे बड़ी गलतफहमी है। लोग एनएवी के आधार पर फंड खरीदते या बेचते हैं।
एनएवी केवल उस समय की यूनिट वैल्यू बताती है। यह फंड के प्रदर्शन के बारे में नहीं बताती। फंड चुनते समय एनएवी के अलावा अन्य कारकों पर भी ध्यान देना चाहिए। फंड का पूरा प्रदर्शन और क्षमता देखनी चाहिए।
म्यूचुअल फंड चुनते समय ध्यान रखने योग्य बातें
फंड का पोर्टफोलियो सब कुछ बता देता है। इसमें सेक्टर एलोकेशन, लिक्विडिटी और मैनेजमेंट क्वालिटी शामिल है। एक्सपेंस रेश्यो, टैक्स इम्प्लीकेशन और एग्जिट लोड पर विचार करना चाहिए। दूसरे फंड्स के साथ तुलना भी जरूरी है।
रिटर्न, रिस्क एडजस्टेड रिटर्न और रिटर्न में स्थिरता महत्वपूर्ण है। फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड और फंड हाउस की प्रतिष्ठा देखनी चाहिए। निवेश का उद्देश्य और समय सीमा के अनुसार फंड चुनना चाहिए।
एंट्री लोड और डिविडेंड का प्रभाव
सेबी ने 2009 में एंट्री लोड को हटा दिया था। यह चार्ज निवेशकों के हितों में पारदर्शिता लाने के लिए समाप्त किया गया। अब निवेशक रोजाना कैलकुलेट की गई एनएवी पर यूनिट खरीदते और बेचते हैं।
डिविडेंड वितरण से एनएवी कम हो जाती है। यह कमी निवेशकों के लिए नुकसान नहीं होती। डिविडेंड पर आयकर स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगता है। इसे अन्य स्रोतों से आय के रूप में रिपोर्ट किया जाता है।
निवेशकों के लिए सलाह
निवेशकों को एनएवी आधारित निर्णय से बचना चाहिए। फंड के मूलभूत विश्लेषण पर ध्यान देना चाहिए। दीर्घकालिक निवेश दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। नियमित एसआईपी व्यवस्थित निवेश योजना के माध्यम से करना फायदेमंद रहता है।
वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना उचित होता है। निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों को स्पष्ट करना चाहिए। जोखिम सहनशीलता के अनुसार फंड चुनना चाहिए। समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करते रहना चाहिए।
