Solan News: देश में पिछले दो वर्षो में मशरूम उत्पादन तीन गुणा से ज्यादा बढ़ा है। इनमें बटन, ढींगरी और शिटाके मशरूम आदि शामिल हैं। 2019 में 1.29 लाख और अब 4.86 लाख मीट्रिक टन विभिन्न किस्मों का मशरूम तैयार किया जा रहा है। इसका खुलासा खुंब अनुसंधान निदेशालय चंबाघाट में राष्ट्रीय मशरूम मेले के दौरान हुआ है।
यह मेला सोलन शहर को मशरूम सिटी ऑफ इंडिया घोषित करने के उपलक्ष्य में हर वर्ष मनाया जाता है। इस मौके पर नौणी विवि के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। वहीं आईसीएआर के निदेशक डॉ. ब्रिजेश सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता खुंब निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने की।
मुख्य अतिथि ने देश के विभिन्न हिस्सों के लिए मशरूम की प्रजातियां एवं तकनीक विकसित करने के लिए खुंब अनुसंधान निदेशालय की प्रशंसा की। कहा कि वैज्ञानिकों एवं किसानों के अथक प्रयासों की बजह से ही कुछ वर्षों में मशरूम का उत्पादन लगभग तीन गुणा बढ़ गया है।
उन्होंने देश के किसानों को इस उभरते हुए उद्योग को अपनाने का आह्वान किया, जिससे देश से कुपोषण की समस्या दूर हो सके। मेले में देशभर से करीब 1000 से अधिक किसान, वैज्ञानिक और मशरूम उत्पादकों ने भाग लिया। विशेष अतिथि ने भी अधिकाधिक कृषि अवशेषों का इस्तेमाल करके मशरूम उत्पादन को बढ़ाने में सहयोग के लिए किसानों का आह्वान किया।
निदेशालय के निदेशक डॉ. वीपी शर्मा ने सोलन शहर में खुंब उत्पादन की शुरुआत के इतिहास पर चर्चा करते हुए पिछले वर्ष हुए कार्यों पर प्रस्तुति दी। जबकि प्रधान वैज्ञानिक बृज लाल अत्री ने सभी का आभार जताया। पॉलीथिन बैग के साथ क्रेट में भी उगा सकेंगे मशरूमसोलन। पॉलीथिन के कम प्रयोग और मशरूम उगाने के खर्चे को कम करने के लिए खुंब अनुसंधान एवं निदेशालय की ओर से शोध किया जा रहा है।
इसके तहत पॉलीथिन बैग के स्थान पर क्रेट का प्रयोग कर बटन और पैडी स्ट्रॉ मशरूम तैयार किया है। इसका प्रशिक्षण सफल रहा है। राष्ट्र स्तरीय खुंब मेले के दौरान इसे प्रदर्शित भी किया गया है। इस तकनीक को प्रदर्शनी में भी लगाया था। इस दौरान दे भर से आए मशरूम उत्पादकों को भी इसकी जानकारी दी गई। वर्तमान में अधिकतर मशरूम की किस्में पॉलीथिन बैग में तैयार की जा रही हैं।