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बुधवार, 27 सितम्बर,2023

दिल्ली में मिली मुगलकालीन पुलिस चौकी, जानें 1780 से आज तक का इतिहास

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Mughal Era Police Post: दिल्ली में मुगलकालीन पुलिस चौकी मिली है। मुगलकाल में इसे ‘बड़ की पुलिस चौकी’ कहा जाता था। जर्जर हो चुकी चौकी की एक मंजिला इमारत का मुगलकालीन लुक बहाल किया जा रहा है। इसका जिम्मा कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्ट (इनटैक) ने उठाया है।

इस चौकी के अपने मूल या फिर मुगलकालीन लुक को बहाल करने के लिए उस समय का चूना व पत्थर लगाए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस जल्द ही इसमें चौकी खोलने जा रही है। दिल्ली पुलिस भी इसका नाम बड़ की पुलिस चौकी रखेगी। आम जनता के लिए भी इसे खोला जाएगा।

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दिल्ली पुलिस की पुरानी एफआईआर व अन्य दस्तावेज को संभालकर रखने वाले सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) राजेंद्र सिंह कलकल ने बताया कि दिल्ली पुलिस की कॉफी टेबल बुक दिल्ली पुलिस हिस्ट्री एंड हैरिटेज वर्ष 2006 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक पर रिसर्च चल रही है। दिल्ली पुलिस के सीनियर अधिकारियों की ओर से इस पुस्तक पर रिसर्च का काम एसीपी राजेंद्र सिंह कलकल को सौंपा गया था।

1780 से 1800 के बीच थी पुलिस चौकी

एसीपी राजेंद्र सिंह ने बताया कि उस रिसर्च के दौरान पता चला कि वर्ष 1821 में एक किताब ‘सैर उल मनाजिल’ प्रकाशित हुई थी। ये पुस्तक मिर्जा संगीन बेग ने लिखी थी। राजेंद्र सिंह ने बताया कि उस किताब का अंग्रेजी में अनुवाद शमा मित्रा चिनॉय द्वारा किया गया था। किताब में उस वक्त की पुरानी ऐतिहासिक इमारत का उल्लेख था। ये मुगलकालीन पुलिस चौकी सन 1780 से 1800 के बीच की बताई जा रही है। 1803 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। 1821 में लिखी गई पुस्तक में इस पुलिस चौकी का जिक्र है।

चौकी को ऐसा ढूंढा

सैर उल मनाजिल पुस्तक में बड़ की चौकी का जिक्र है, जिसमें लिखा कि मुगलकाल में रोहतक रोड पर काला पहाड़ के सामने शीतला मंदिर के पास पुलिस चौकी हुआ करती थी। इसके बाद एसीपी राजेंद्र सिंह ने चौकी को ढूंढने का जिम्मा उठाया। लोगों से पूछताछ व रिसर्च से पता चला कि आज के आनंद पर्वत को पहले काला पहाड़ बोला जाता था और उस समय पुराना शीतला मंदिर आज के माता उषा मंदिर के नाम से जाना जाता है। राजेंद्र सिंह ने बताया कि इस चौकी को बड़ की पुलिस चौकी नाम दिया जाएगा, जो मुगलकाल में था।

सात दरवाजे और दो कमरे

संरक्षण वास्तुकार ने बताया कि इमारत में दो कमरे व सात दरवाजे हैं। बाहर की तरफ कॉरिडोर है। पुनस्र्थापना में रेड सेंड स्टोन लगाए गए हैं। सीमेंट की फ्लोरिंग की गई है। बाहर बनाया गया अस्थायी निर्माण हटाया गया है। पास में कुआं है। इसे खाली करवाया गया है। इसके ऊपर जाल लगाया गया है। जाली लगवाई गई हैं। पार्किंग बनवाई गई है।

इमारत की छत का आधा हिस्सा गिर चुका था

इनटैक की संरक्षण वास्तुकार हुरुतिका सातदिवे ने बताया कि ये इमारत मुगलकालीन है। मुगलकाल में इस इमारत में पुलिस चौकी चलती थी। जब इसका पता चला, तो जर्जर हो चुकी थी और छत का आधा हिस्सा गिर चुका था। इनटैक की स्थापत्य विरासत की निदेशक व एचओडी विजया अमजुरे की देखरेख में संरक्षण एवं पुनस्थापना किया जा रहा है।

पुराने लोगों से की गई बातचीत

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इलाके में पुराने लोगों से बातचीत के आधार पर पता लगा कि सराय रोहिल्ला थाना क्षेत्र में एक पुरानी चौकी हुआ करती थी। राजेंद्र सिंह की देखरेख में पुलिस टीम यहां पहुंची। पता चला कि वाहन चोरी निरोधक दस्ते (एएटीएस) के पास एक पुरानी इमारत थी।

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