Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में एक आईएएस अधिकारी की नौकरी पर बड़ा संकट आ गया है। राज्य की मोहन यादव सरकार ने प्रमोटी आईएएस संतोष वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। सरकार ने न केवल उन्हें पद से हटाया है, बल्कि उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश केंद्र सरकार को भेज दी है। यह मामला पूरे MP News में चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्मा पर ब्राह्मण समाज और न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है।
वायरल वीडियो से शुरू हुआ विवाद
संतोष वर्मा 2012 बैच के अधिकारी हैं और उनका रिटायरमेंट पांच साल बाद है। हाल ही में उन्हें अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी कर्मचारी संगठन का अध्यक्ष चुना गया था। पदभार ग्रहण के दौरान उनका एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वे ब्राह्मण वर्ग के खिलाफ टिप्पणी करते दिखे। इसके बाद ब्राह्मण संगठनों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। MP News में इस मुद्दे पर लगातार बहस जारी है।
संतोष वर्मा के तीन कथित बयान
वर्मा के तीन प्रमुख बयान विवाद का कारण बने हैं:
- आरक्षण पर टिप्पणी: उन्होंने कथित तौर पर कहा कि जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उन्हें नहीं देता, तब तक आरक्षण जारी रहे।
- हिंसा की धमकी पर: उन्होंने कहा, “कितने संतोष वर्मा मारोगे? हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा।”
- न्यायपालिका पर आरोप: तीसरे वीडियो में उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट एससी-एसटी बच्चों को सिविल जज नहीं बनने दे रहा है। उन्हें जानबूझकर कम नंबर दिए जाते हैं।
सरकार की सख्त कार्रवाई
विवाद बढ़ने पर राज्य सरकार ने गुरुवार देर शाम एक्शन लिया। संतोष वर्मा को कृषि विभाग के उपसचिव पद से हटा दिया गया है। उन्हें अब सामान्य प्रशासन विभाग में अटैच कर दिया गया है। सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। बताया जा रहा है कि वर्मा का जवाब संतोषजनक नहीं था। अब उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार की जा रही है।
सफाई और दबाव के आरोप
संतोष वर्मा ने वायरल वीडियो को फर्जी बताया है। उनका कहना है कि यह वीडियो शरारतपूर्ण तरीके से एडिट किया गया है। वहीं, एक वरिष्ठ दलित अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि सरकार आरएसएस (RSS) के दबाव में काम कर रही है। वायरल वीडियो की सही जांच के बिना एकतरफा कार्रवाई करना गलत है।
