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Monday, March 27, 2023

हर साल हमसे 3.8 cm दूर होता जा रहा है चांद, 2.46 अरब सालों में पहुंचा 60 हजार किमी दूर, जानें क्या है वैज्ञानिक कारण

Delhi News: चंद्रमा हम से दूर होता जा रहा है। सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन इस घटना की वजह से पृथ्वी पर सूरज की रौशनी की मात्रा भी घटती जा रही है। वैज्ञानिकों ने एक नए शोध में पाया है कि चांद के पृथ्वी से दूर जाने की दर सालाना 3.8 सेंटीमीटर है।

खगोलीय भाषा में यह गति काफी तेज मानी जा रही है। वैज्ञानिकों को इस प्राकृतिक घटना की भनक कैसे लगी, इसकी कहानी भी दलचस्प है। अगर 1969 में अपोलो मिशन चांद पर नहीं गया होता तो हम इसके बारे में समझ ही नहीं पाते। गौरतलब है कि कई कैलेंडर चंद्रमा पर ही आधारित होते हैं, लेकिन अब इसकी गणना पर सवाल उठ सकते हैं।

चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर होता जा रहा है-रिपोर्ट

शोधकर्ताओं ने पाया है कि चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर होता जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक इसकी मौजूदा रफ्तार 3.8 सेंटी मीटर प्रति वर्ष है। दरअसल, 1969 में अपोलो अभियान के दौरान वैज्ञानिकों ने वहां रिफ्लेक्टिव पैनल लगाए थे। इसी की वजह से अमेरिका के नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी (NRAO) के वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद मिली है। जानकारी के मुताबिक इन्हीं रिफ्लेक्टिव पैनलों की वजह से शोधकर्ता पैनल और पृथ्वी के बीच बढ़ती दूरी का पता लगा पाने में सक्षम हुए। वैज्ञानिकों ने इतनी तेजी से हो रही इस घटना को देखकर आश्चर्यचकित हैं।

पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है चांद

चंद्रमा एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है, जो पृथ्वी की कक्षा के चारों ओर घूमता है। पहले यह माना जाता था कि चांद पृथ्वी से समान दूरी पर बना रहता है। इसके पीछे धरती के गुरुत्वाकर्षण को कारण माना जाता था। लेकिन, ईस्ट कोस्ट डेली की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने पाया है कि हकीकत में चांद धरती से दूर होता जा रहा है। पहले समय की गणना के लिए भी चंद्रमा का इस्तेमाल होता था, क्योंकि कई प्राचीन मानवीय सभ्यता में कैलेंडर के लिए इसका खास महत्व था।

पृथ्वी से कितनी दूर जा चुका है चांद ?

वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक आज से 2.46 अरब साल पहले चांद हमसे मौजूदा दूरी की तलना में 60,000 किलोमीटर नजदीक था। यह दूरी पृथ्वी के व्यास के लगभग पांच गुना के बराबर है। इससे यह भी पता चलता है कि एक वक्त ऐसा रहा होगा, जब धरती पर दिनभर में लगभग 17 घंटे धूप खिली रहती होगी। लेकिन, गौर करने वाली बात ये है कि चांद के दूर जाने का सिलसिला थमा नहीं है, यह लगातार जारी है और यह काफी तेजी से चल रहा है।

चंद्रमा पृथ्वी से दूर क्यों जा रहा है?

चंद्रमा के पृथ्वी से दूर होने की इस घटना की वैज्ञानिक व्याख्या की गई है। इसे ‘मिलानकोविच चक्र’ (Milankovitch cycles) के नाम से जाना जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा के मुताबिक ‘मिलानकोविच चक्र’ वह छोटा-मोटा बदलाव है, जो सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में होता है। इसके चलते पृथ्वी पर जो सूर्य की रौशनी पड़ती है, उसकी मात्रा में परिवर्तन होता रहता है।

‘मिलानकोविच चक्र’ का प्रभाव क्या होता है ?

अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझें तो मिलानकोविच चक्र पृथ्वी की धुरी और कक्षीय आकार में सूक्ष्म अंतरों की ओर इशारा करता है। इसी से धरती पर पड़ने वाली सूरज की रौशनी की मात्रा प्रभावित होती है। ‘मिलानकोविच चक्र’ के असर से धरती के पर्यावरण पर असर पड़ता है। इसकी वजह से मौसमों में बदलाव हो सकता है। अतिवृष्टि या अनावृष्टि की घटनाएं बढ़ सकती हैं।

ब्रह्मांड के विस्तार से भी तेज है गति

अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वाले लोग जानते होंगे कि ब्रह्मांड का तेज गति से विस्तार हो रहा है और इसलिए हमारा सोलर सिस्टम भी बढ़ रहा है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि समय के साथ सोलर सिस्टम में मौजूद किसी भी दो चीजों की दूरियां बढ़ेंगी। लेकिन, जिस मिलानकोविच चक्र की बात हो रही है, वह ऐसी प्राकृतिक घटना है, जिसमें चंद्रमा, धरती से तुलनात्मक रूप से काफी तेज गति से दूर होता महसूस हो रहा है।

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