RIGHT NEWS INDIA: यहां दुनिया में तेजी से मंकीपॉक्स वायरस अपने पैर पसार रहा है और तीन महीने में ही ये वायरस 75 देशों में फैल चुका है और इसके 18 हजार से ज्यादा मामले भी सामने आ चुके है. और ये बढ़ते मामले लगातार चिंता का विषय बन गया है।
इस संक्रमण से पीड़ित पांच संक्रमितों की मौत भी हो चुकी है. जोकि अपने आप में चिंता का विषय बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अमेरिका, यूके, कनाडा और स्पेन में इस जुनोटिक बीमारी के सबसे ज्यादा मामले आ रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इन देशों में मिले 99 फीसदी संक्रमित मरीज पुरुष हैं. वो भी वह जिन्होंने अन्य पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं और जिनके एक से ज्यादा पार्टनर हैं.
ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि ये वायरस भी एचआईवी की तरह एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है, लेकिन क्या ऐसा सच में है और मंकीपॉक्स का वायरस भी एचाआईवी वायरस जैसा ही है?
नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिसिन डिपार्टमेंट के अडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्रचल ने TV9 से बातचीत में बताया कि मंकीपॉक्स के मामले समलैंगिक पुरुषों में ज्यादा आ रहे हैं, लेकिन ये वायरस कई और तरीकों से भी फैलता है. संक्रमित मरीज के संपर्क में लंबे समय तक रहने, स्किन टू स्किन टच ट्रांसमिशन, संक्रमित जानवर के संपर्क में आना और संक्रमित मरीज के बर्तन या कपड़े के इस्तेमाल से भी मंकीपॉक्स फैलता है. इस वायरस का ट्रांसमिशन सेक्स के अलावा भी अन्य कई तरीकों से हो रहा है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि मंकीपॉक्स केवल एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है.
क्या कोरोना की तरह ही है मंकीपॉक्स?
डॉ. नीरज बताते हैं कि मंकीपॉक्स का ट्रांसमिशन बिलकुल कोविड की तरह नहीं होता है. दोनों के ट्रांमिशन के तरीकों में कुछ अंतर है, कोरोना बहुत तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है, लेकिन मंकीपॉक्स काफी देर तक संपर्क में रहने से ही होता है. मंकीपॉक्स के हवा के जरिए फैलने की आशंका काफी कम होती है. इसलिए इसको लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है.
मंकीपॉक्स की वैक्सीन मौजूद है?
डॉ. ने बताया कि मंकीपॉक्स की वैक्सीन मौजूद है. 2019 में JYNNEOS नाम की वैक्सीन को स्मॉलपॉक्स के इलाज के लिए अप्रूव किया गया था. इस वैक्सीन कोमंकीपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इस बात के भी प्रमाण हैं कि स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन मंकीपॉक्स पर कारगर साबित हो सकती है. इसलिए स्मॉलपॉक्स का टीका लगाने से मंकीपॉक्स से बचाव होने की उम्मीद है.
डॉ. नीरज के मुताबिक 1980 से बाद जन्मे लोगों को स्मॉलपॉक्स का टीका नहीं लगा है. लेकिन इससे पहले वाले लोगों को ये टीका लग चुका है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि 42 साल से अधिक उम्र के लोगों को स्मॉल पॉक्स से खतरा कम होगा.
गे पुरुषों में क्यों फैल रहा है मंकीपॉक्स
स्वास्थ्य नीति और महामारी एक्सपर्ट डॉ. अंशुमान कुमार ने TV9 से बातचीत में बताया कि अगर कोई व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित होता है तो उसके शरीर में तुरंत रैशेज नहीं निकलते हैं. इसमें तीन से पांच दिन का भी समय लग सकता है, लेकिन रैशेज निकलने से पहले अगर किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाए गए तो सीमन के जरिए ये वायरस एक से दूसरे पुरुष में फैल जाता है. इसलिए अगर शरीर पर दाने नहीं भी निकले हैं, लेकिन संक्रमित मरीज के साथ सेक्स किया गया है तो इस वायरस के फैलने की आशंका रहती है. लेकिन ये और भी कई कारणों से फैल रहा है.
यही कारण है कि अमेरिका, यूके और स्पेन में गे पुरुषों में ये वायरस फैल रहा है. इन देशों में समलैंगिक पुरुषों की संख्या काफी अधिक है. ये लोग कई बार बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करते हैं. जिससे गे पुरुषों में इस वायरस के मामले ज्यादा आ रहे हैं. हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि मंकीपॉक्स भी एचआईवी के जैसा ही वायरस है. क्योंकि मंकीपॉक्स कई और तरीकों से भी फैलता है.
ऐसे करें बचाव
डॉ. अंशुमान बताते हैं कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए हैंड हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अगर बाहर जा रहे हैं तो समय समय पर हाथों का साबुन से धोते रहें. अगर किसी क्लब या रेस्टोरेंट में गए हैं तो किसी चीज को छूने के बाद हाथ जरूर धो लें
अगर फ्लू के लक्षण दिख रहे हैं तो खुद को आइसोलेट कर लें.
मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा न करें
किसी व्यक्ति को बुखार है तो उसके संपर्क में न आएं
मंकीपॉक्स का लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करें