India News: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 50 कंपनियों और 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और यस बैंक से 3,000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले की जांच के तहत हुई। दिल्ली और मुंबई की टीमें इस ऑपरेशन में शामिल थीं।
एसबीआई ने घोषित किया फ्रॉड
भारतीय स्टेट बैंक ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित किया। कई कंपनियां दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। ईडी की कार्रवाई 13 जून, 2025 को एसबीआई के फ्रॉड घोषित करने के बाद तेज हुई। रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 2,227.64 करोड़ रुपये का कर्ज है।
सीबीआई और अन्य एजेंसियों की भूमिका
ईडी की जांच सीबीआई की दो एफआईआर और सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और एनएफआरए से मिली जानकारी पर आधारित है। जांच में पता चला कि 2017-2019 के बीच यस बैंक ने रिलायंस ग्रुप की शेल कंपनियों को 3,000 करोड़ रुपये के लोन दिए। इन फंड्स को मनी लॉन्ड्रिंग के लिए डायवर्ट किया गया।
लोन प्रक्रिया में अनियमितताएं
ईडी ने लोन प्रक्रिया में गंभीर खामियां पाईं। दस्तावेजों में गड़बड़ी, बिना जांच के लोन मंजूरी और रिश्वत के आरोप सामने आए। कई कंपनियों के डायरेक्टर एक जैसे थे। लोन मंजूरी से पहले ही फंड्स ट्रांसफर किए गए। रिलायंस होम फाइनेंस के लोन में 2017-18 में 3,742.60 करोड़ से 2018-19 में 8,670.80 करोड़ की बढ़ोतरी हुई।
जांच में और खुलासे की संभावना
ईडी ने कहा कि यह जांच शुरुआती चरण में है। दस्तावेजों की छानबीन और बैंक रिकॉर्ड के आधार पर और खुलासे हो सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ जारी है। जांच में बैंकों, शेयरधारकों और निवेशकों को भ्रामक जानकारी देने का भी आरोप है।
