National News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट कहा है कि संघ हमेशा तिरंगे का सम्मान करता आया है। उन्होंने कहा कि भगवा और तिरंगा के बीच कोई विवाद नहीं है। भागवत ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। यह कार्यक्रम संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
भागवत ने राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास को याद करते हुए दिलचस्प जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ध्वज पहली बार 1933 में तय किया गया था। ध्वज समिति ने भगवा रंग को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद तिरंगे को अपनाया गया।
तिरंगे के इतिहास पर भागवत
मोहन भागवत ने विस्तार से तिरंगे के इतिहास के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ध्वज समिति ने सर्वसम्मति से भगवा रंग को राष्ट्रीय ध्वज बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन महात्मा गांधी ने हस्तक्षेप करते हुए तीन रंगों वाले ध्वज का प्रस्ताव रखा। इसके बाद तिरंगे को अंतिम रूप दिया गया।
आरएसएस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि संघ हमेशा तिरंगे का सम्मान करता आया है। संघ ने तिरंगे की रक्षा की है और उसे श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कहा कि भगवा बनाम तिरंगा का कोई सवाल ही नहीं उठता है। दोनों के बीच किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है।
विभिन्न दलों के अपने झंडे
भागवत ने तर्क दिया कि हर राजनीतिक दल का अपना झंडा होता है। कम्युनिस्ट पार्टी का लाल झंडा है तो कांग्रेस के पास चरखे वाला तिरंगा है। रिपब्लिकन पार्टी का नीला झंडा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह आरएसएस का अपना भगवा ध्वज है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अपने ध्वज के साथ-साथ संघ राष्ट्रीय ध्वज का पूरा सम्मान करता है। दोनों के बीच कोई टकराव नहीं है। भागवत ने कहा कि संघ की स्थापना से लेकर आज तक तिरंगे के प्रति सम्मान का भाव रहा है। यह भावना आगे भी बनी रहेगी।
आरएसएस के पंजीकरण पर सफाई
कांग्रेस नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए भागवत ने स्पष्ट किया कि आरएसएस मान्यता प्राप्त संगठन है। उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। उस समय ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराने का कोई मतलब नहीं था। आजादी के बाद भी पंजीकरण अनिवार्य नहीं था।
भागवत ने बताया कि आरएसएस को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है। आयकर विभाग और अदालतों ने इसकी पुष्टि की है। संगठन को आयकर से छूट भी प्राप्त है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगाया था। इससे साबित होता है कि संघ का अस्तित्व था।
संघ की मान्यता पर जोर
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अगर संघ का अस्तित्व नहीं होता तो सरकार प्रतिबंध किस पर लगाती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संघ को कानूनी मान्यता प्राप्त है। संगठन ने हमेशा देश के कानूनों का पालन किया है। संघ की गतिविधियां पूरी तरह कानून के दायरे में होती हैं।
भागवत ने बेंगलुरु कार्यक्रम में संघ के सौ वर्ष पूरे होने पर चर्चा की। उन्होंने संघ के इतिहास और उसके योगदान के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान उन्होंने संघ के ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज के संबंध में सभी संदेहों को दूर करने की कोशिश की।
