National News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत आज 11 सितंबर 2025 को 75 वर्ष के हो गए। 1950 में महाराष्ट्र के सांगली जिले में जन्मे भागवत ने 2009 में संघ की कमान संभाली थी। तब से लेकर आज तक उन्होंने संगठन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया है। वे देश की सामाजिक-राजनीतिक दिशा तय करने वाली प्रमुख हस्तियों में शामिल हैं।
मोहन भागवत एक करहाड़े ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका पूरा परिवार संघ के प्रति समर्पित रहा है। उनके दादा संघ संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के सहयोगी थे। पिता मधुकरराव गुजरात में प्रचारक रहे और मां मालती राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ी थीं। यही वजह है कि समझाने और जोड़ने की कला उन्हें विरासत में मिली।
भागवत ने पशु चिकित्सा विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कृषि विज्ञान में परास्नातक की डिग्री हासिल की। डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले भागवत ने अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया। उन्होंने चंद्रपुर में पशु चिकित्सक के तौर पर महज छह महीने नौकरी की।
1975 में देश में आपातकाल लगने के दौरान मोहन भागवत ने खुद को आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में समर्पित कर दिया। इसके बाद उन्होंने अकोला जिले में प्रचारक का दायित्व संभाला। उन्होंने विदर्भ और बिहार में भी संघ का काम किया। साल 2000 में वे संघ के सरकार्यवाह बने।
सरसंघचालक का पदभार
साल 2009 में महज 59 साल की उम्र में मोहन भागवत ने आरएसएस की कमान संभाली। वे संघ के सबसे युवा सरसंघचालकों में शामिल हुए। इस समय संघ परिवार कठिन दौर से गुजर रहा था। भाजपा की चुनाव में हार, वरिष्ठ नेताओं का सक्रिय राजनीति से दूर होना और अन्य चुनौतियां मौजूद थीं।
मोहन भागवत संघ के तीसरे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सरसंघचालक हैं। उनसे पहले माधव सदाशिव गोलवलकर और बाला साहेब देवरस ने सबसे लंबे समय तक यह पद संभाला था। 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया था।
संघ में लाए गए बदलाव
मोहन भागवत के नेतृत्व में आरएसएस ने कई अहम बदलाव देखे। संघ परिवार की सभी संस्थाओं में पदाधिकारियों के लिए 75 वर्ष की आयु सीमा लागू की गई। नई पीढ़ी के नेताओं को आगे लाने पर जोर दिया गया। नितिन गडकरी जैसे युवा नेता को भाजपा अध्यक्ष बनाया गया।
संगठन ने अपनी पारंपरिक छवि में भी बदलाव किया। खाकी निकर की जगह पैंट पहनने की अनुमति दी गई। शाखा का समय लचीला बनाया गया ताकि छात्र और नौकरीपेशा लोग आसानी से जुड़ सकें। संघ ने तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया और सोशल मीडिया पर सक्रिय हुआ।
व्यक्तिगत जीवन और सम्मान
अन्य वरिष्ठ संघ नेताओं की तरह मोहन भागवत ने अविवाहित रहकर अपना पूरा जीवन संगठन को समर्पित किया है। निजी जीवन में वे सादगी पसंद करते हैं। वे कम सुरक्षा घेरे में सफर करते हैं और साधारण आवास को तरजीह देते हैं। नागपुर स्थित एनिमल एंड फिशरी साइंसेज यूनिवर्सिटी ने उन्हें मानद डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्रदान की।
मोहन भागवत ने संघ का संदेश दुनिया तक पहुंचाने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आरएसएस का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नेतृत्व में संघ परिवार की 36 संस्थाएं एक ही दिशा में काम कर रही हैं। उन्हें बेहतरीन संगठन कौशल के लिए जाना जाता है।
