World News: अमेरिकी संसद में एक ऐतिहासिक घटना घटी जिसने वाशिंगटन के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। डेमोक्रेट सांसद सिडनी कैमलेगर-डव ने सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक तस्वीर वाला पोस्टर लहराया। यह पहला मौका था जब अमेरिकी कांग्रेस में किसी गैर-अमेरिकी नेता का पोस्टर दिखाया गया। इस कदम ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
पोस्टर में वह तस्वीर थी जो पुतिन के हालिया भारत दौरे के दौरान ली गई थी। इसमें दोनों नेता एक सफेद बख्तरबंद कार में साथ बैठे दिख रहे थे। यह तस्वीर पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की थी। अमेरिकी सांसद ने इस तस्वीर का इस्तेमाल ट्रंप प्रशासन की रूस और भारत संबंधी नीति की आलोचना करने के लिए किया।
राजनीतिक संदेश और ट्रंप नीति पर प्रहार
इस पोस्टर केमाध्यम से अमेरिकी सांसद ने एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया। उनका आरोप था कि ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण भारत रूस के और करीब आ गया है। उन्होंने इस तस्वीर को अमेरिकी हितों के लिए खतरा बताया। संसद में इस पोस्टर को लहराने का कृत्य अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में अभूतपूर्व माना जा रहा है।
सांसद कैमलेगर-डव ने तर्क दिया कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीति ने भारत को अमेरिका से दूर किया है। उन्होंने भारत पर लगाए गए टैरिफ का विशेष रूप से जिक्र किया। उनका मानना है कि इन नीतियों ने भारत को रूस की ओर धकेल दिया है। इससे अमेरिका की रणनीतिक स्थिति कमजोर हुई है।
भारत-रूस रक्षा समझौतों पर अमेरिकी चिंता
पोस्टर प्रदर्शन कीपृष्ठभूमि में भारत-रूस के बीच हुए महत्वपूर्ण रक्षा समझौते भी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत अब रूस के एस-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम में दिलचस्पी दिखा रहा है। यह अमेरिका के थाड मिसाइल डिफेंस सिस्टम के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। यह बदलाव अमेरिकी रक्षा उद्योग और विदेश नीति विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय है।
इसके अलावा भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखने का फैसला किया है। अमेरिका ने भारत को रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए टैरिफ लगाए थे। लेकिन भारत ने इन प्रतिबंधों की परवाह नहीं की। इसने अमेरिका-भारत संबंधों में नई खटास पैदा कर दी है। पुतिन ने भारतीय कामगारों को रूस आने का न्योता दिया है जो ट्रंप की सख्त वीजा नीति के विपरीत है।
अमेरिकी राजनीति में प्रतिक्रियाएं
इस घटनाने अमेरिकी राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। डेमोक्रेट्स का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों को दूर किया है। वहीं रिपब्लिकन्स इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि संसद में विदेशी नेताओं के पोस्टर दिखाना अनुचित है। यह अमेरिकी संसद की गरिमा के खिलाफ है।
विदेश नीति विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना अमेरिका-भारत-रूस त्रिकोणीय संबंधों की जटिलताओं को उजागर करती है। भारत की रणनीतिक स्वायत्तता ने अमेरिकी नीति निर्माताओं को हैरान किया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगा। वह किसी भी दबाव में आकर अपनी विदेश नीति नहीं बदलेगा।
इस पूरे प्रकरण ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की बढ़ती हैसियत को रेखांकित किया है। दो महाशक्तियों के बीच भारत की स्थिति अब और महत्वपूर्ण हो गई है। अमेरिकी संसद में यह घटना केवल एक पोस्टर दिखाने तक सीमित नहीं है। यह वैश्विक राजनीति में शक्ति संतुलन बदलने का संकेत है। इससे आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नए समीकरण बनने की उम्मीद है।
