Delhi News: केंद्र की मौजूदा सरकार पर कांग्रेस की ओर से इजरायली सॉफ्टेवर के जरिए जासूसी के मामले के बाद अब ऐसी ही एक रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें दावा किया गया है कि भारत एक ‘बैक डूर’ के जरिए व्यक्तिगत डेटा को इंटरसेप्ट किया जा रहा है।
रिपोर्ट में दावा किया गया कि ऐसा करके मौजूदा केंद्र सरकार देश के 1.4 बिलियन नागरिकों की जासूसी करने की अनुमति दे रही है।
भारत में तेजी से बढ़ती संचार तकनीकी के साथ इससे जुड़े बाजार में तेजी आई है। कम्युनिकेशन डिवाइस बनाने की होड़ मची है। इसमें वेहेयर जैसी कुछ भारतीय यूनिट्स भी शामिल हैं। दूसरे देशों के साथ इजरायल की कॉग्नाइट और सेप्टियर जैसी कंपनियां भी इस दिशा में तेजी से बढ़ रही हैं।
ऐसे में डेटा सिक्योरिटी की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन व्यक्तिगत डेटा समुद्र के नीचे केबल लैंडिंग स्टेशनों के माध्यम से प्रवाहित होता है जो देश के तटीय इलाकों के जरिए चारों ओर भारत की संचार प्रणाली को अन्य देशों से जोड़ते हैं।
फाइनेंशियल टाइम्स कि रिपोर्ट के मुताबिक एक कंपनी सेप्टियर ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 2000 में स्थापित इजराइल स्थित सेप्टियर ने अपनी इंटरसेप्शन तकनीक मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया जैसे दूरसंचार समूहों को बेच दी है। रिपार्ट में आगे कहा गया कि एआई का उपयोग डेटा को खोजने और कॉपी करने के लिए किया जाता है। जिसका उद्देश्य ऑडियो, मैसेजिंग सेवाओं, वेब सर्फिंग और ईमेल पत्राचार, उत्पाद और इसके ग्राहकों के बारे में जानकारी गोपनीय हासिल करना है।
सेप्टियर ने कहा, “विदेशी संस्थाओं को हमारी कंपनी की बिक्री इजरायली अधिकारियों द्वारा विनियमित होती है और हमारा सारा व्यवसाय लागू कानून के पूर्ण अनुपालन में संचालित होता है।”
वहीं इससे पहले 2021 में कॉग्नाइट पर मेटा ने भी ऐसे ही आरोप लगाए थे। मेटा ने कहा था कि कॉग्नाइट उन कंपनियों में से एक थी, जिसका प्रयोग कई देशों में पत्रकारों और राजनेताओं को ट्रैक करने के लिए किया जाता था। हालांकि अपने आरोप में मेटा ने भारत का जिक्र नहीं किया था।