Himachal News: मंडी जिले में, पति-पत्नी के बीच होने वाले विवादों का एक नया कारण सामने आया है – मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग। पिछले पांच वर्षों में महिला पुलिस थाने में दर्ज हुए 3,212 से अधिक घरेलू मामलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका देखी गई है। पतियों की शिकायत है कि जब वे अपनी पत्नियों को मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल पर रोकते हैं, तो घर में हंगामा शुरू हो जाता है। एक मामला तो हाथापाई तक जा पहुंचा था, लेकिन थाना प्रभारियों ने बीच-बचाव करके परिवार को टूटने से बचाया।
महिला थाना मंडी में हर साल पति-पत्नी के झगड़ों, सास-ससुर के साथ अनबन और घरेलू हिंसा के 600 से अधिक मामले दर्ज हो रहे हैं। इनमें से अधिकतर विवादों की जड़ मोबाइल फोन का लगातार इस्तेमाल है। पुलिस का कहना है कि उनका प्रयास है कि इन मामलों का निपटारा काउंसलिंग के जरिए ही करवाया जाए, ताकि परिवार बच सके और बच्चों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके।
पिछले पांच वर्षों के आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि महिला थाने की काउंसलिंग रणनीति कारगर साबित हो रही है। कुल 3,212 मामलों में से केवल 661 मामले ही अदालत तक पहुंचे। बाकी 2,551 मामलों में, थाना टीम ने पति-पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों को समझा-बुझाकर सुलह करवाई और उन्हें घर वापस भेजा। जो मामले कोर्ट पहुंचे, वे भी दो-तीन बार काउंसलिंग के बाद भी सुलझ नहीं पाए।
महिला थानों पर बढ़ता भरोसा
जिलेभर से लोग सीधे महिला थाने में अपनी शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है थाने के स्टाफ द्वारा पीड़ितों की बात को धैर्यपूर्वक सुनना। सामान्य थानों में चोरी, मारपीट और यातायात जैसे कई तरह के मामले आते हैं, जहां हर व्यक्ति को पर्याप्त समय नहीं दिया जा पाता। वहीं, महिला थाने में मुख्य रूप से घरेलू मामलों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे लोगों को बेहतर सुनवाई का अवसर मिलता है।
महिला थाने में केवल पारिवारिक विवाद ही नहीं, बल्कि अन्य संवेदनशील मामले भी सामने आ रहे हैं। इनमें नाबालिग बच्चों के घर से भागने, छेड़छाड़ और साइबर बुलिंग जैसे मामले शामिल हैं। अब तक स्कूली बच्चों से जुड़े 32 मामले थाने में दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें बच्चों की काउंसलिंग पर विशेष जोर दिया गया।
पारिवारिक एकता बचाने का प्रयास
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु वर्मा ने बताया कि पुलिस का लगातार प्रयास रहता है कि पति-पत्नी के बीच चल रहे विवाद को काउंसलिंग के माध्यम से ही सुलझा लिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर ये विवाद बढ़ते हैं, तो इसका सबसे बुरा असर परिवार के बच्चों पर पड़ता है। महिला थाना इस दिशा में एक सकारात्मक भूमिका निभा रहा है और परिवारों को बिखरने से बचाने का काम कर रहा है।
वार्षिक आंकड़े दर्शाते हैं कि मामलों की संख्या लगातार बनी हुई है। साल 2021 में 601, 2022 में 633, 2023 में 697, 2024 में 648 और 2025 में 633 मामले दर्ज किए गए। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि घरेलू स्तर पर मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग ने नए तनाव पैदा किए हैं, लेकिन महिला थाने जैसी संस्थाएं इन्हें सुलझाने में मददगार साबित हो रही हैं।
