रविवार, दिसम्बर 21, 2025

मनरेगा घोटाला: सोलन की 217 पंचायतों में 62 लाख रुपये की अनियमितता

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Himachal News: सोलन जिले में मनरेगा के कामों में बड़ी अनियमितताएं पाई गई हैं। सोशल ऑडिट में दो सौ सत्रह ग्राम पंचायतों की जांच हुई। इसमें कुल बासठ लाख दस हजार रुपये की कथित गड़बड़ी सामने आई। इनमें सीधी वित्तीय गड़बड़ी नब्बे हजार रुपये से अधिक है।

जिले में कुल दो सौ चालीस ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से दो सौ सत्रह का ऑडिट पूरा हो चुका है। अधिकतर मामले डेविएशन यानी विचलन के पाए गए। इसका मतलब है कि स्वीकृत स्थान पर काम नहीं हुआ या नियमों की अनदेखी हुई।

सोलन ब्लॉक में सबसे अधिक अनियमितता

सोलन विकास खंड में सबसे बड़ी गड़बड़ी मिली। यहां सैंतीस में से तीस पंचायतों का ऑडिट हुआ। इनमें अड़तीस लाख तिरेपन हजार रुपये की अनियमितता पाई गई। यह राशि जिले की कुल गड़बड़ी का एक बड़ा हिस्सा है।

धर्मपुर विकास खंड में चौबीस में से तेईस पंचायतों की जांच हुई। यहां एक सौ पचास मामले सामने आए। छह हजार आठ सौ छप्पन रुपये की वित्तीय गड़बड़ी मिली। डेविएशन से जुड़ी अनियमितता नौ लाख पचासी हजार रुपये की है।

कंडाघाट और पट्टा ब्लॉक का हाल

कंडाघाट विकास खंड में छब्बीस में से तेईस पंचायतों का ऑडिट हुआ। यहां उनसठ हजार दो सौ अट्ठानबे रुपये की वित्तीय गड़बड़ी मिली। डेविएशन से जुड़ी अनियमितता छह लाख चार हजार रुपये की सामने आई।

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पट्टा विकास खंड में पच्चीस में से बाईस पंचायतों की जांच हुई। इस ब्लॉक में तीन लाख बीस हजार रुपये की अनियमितता पाई गई। सभी विकास खंडों में अलग-अलग स्तर की गड़बड़ियां दर्ज की गई हैं।

कुनिहार और नालागढ़ ब्लॉक की स्थिति

कुनिहार विकास खंड जिले का दूसरा सबसे बड़ा ब्लॉक है। यहां तिरेपन पंचायतों का ऑडिट किया गया। दो हजार आठ सौ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी मिली। डेविएशन से जुड़ी अनियमितता दो लाख तिहत्तर हजार रुपये की पाई गई।

नालागढ़ विकास खंड जिले का सबसे बड़ा ब्लॉक है। यहां छयासठ पंचायतों के ऑडिट में तीन सौ छिहत्तर मामले सामने आए। ग्यारह हजार तीन सौ अस्सी रुपये की वित्तीय गड़बड़ी मिली। डेविएशन से जुड़ी अनियमितता बानवे हजार तीन सौ पचपन रुपये की है।

अधिकारियों ने दी प्रतिक्रिया

एडीसी सोलन राहुल जैन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि अधिकांश मामले डेविएशन से जुड़े हैं। इन मामलों को ग्राम सभा की बैठक में चर्चा से दूर किया जा सकता है। प्रशासन ने इस दिशा में कदम उठाए हैं।

सभी ब्लॉक विकास अधिकारियों को पत्र लिखे गए हैं। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि ऑडिट में उठाए गए सवालों पर जवाब तलब करें। संबंधित ग्राम पंचायतों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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डेविएशन क्या है और क्यों है समस्या

डेविएशन का मतलब है स्वीकृत योजना से विचलन। जैसे किसी एक स्थान पर काम स्वीकृत था लेकिन दूसरी जगह कर दिया गया। निर्माण कार्यों में नियमों की अनदेखी भी डेविएशन में आती है। यह तकनीकी अनियमितता मानी जाती है।

हालांकि यह सीधी वित्तीय गड़बड़ी नहीं है। फिर भी यह योजना के उद्देश्य को प्रभावित करती है। काम की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है। इसलिए इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।

आगे की कार्रवाई क्या होगी

प्रशासन ने सभी मामलों की गहन जांच का फैसला किया है। वित्तीय गड़बड़ी वाले मामलों में कड़ी कार्रवाई होगी। डेविएशन के मामलों में सुधारात्मक उपाय किए जाएंगे। ग्राम सभाओं को इन मुद्दों पर चर्चा करने को कहा गया है।

जिला प्रशासन का लक्ष्य योजना को और पारदर्शी बनाना है। भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के उपाय किए जाएंगे। सोशल ऑडिट की प्रक्रिया को नियमित रूप से जारी रखा जाएगा। इससे जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

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