New Delhi: केंद्र सरकार ने MNREGA (मनरेगा) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब इसका नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही रोजगार के दिनों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। अब मजदूरों को साल में 100 दिन के बजाय 125 दिन काम की गारंटी मिलेगी।
MNREGA के ढांचे में बड़े बदलाव
यह योजना 2005 में शुरू की गई थी। इसका मकसद ग्रामीण परिवारों को आजीविका सुरक्षा देना है। लेकिन दो दशक बाद इसमें कई कमियां सामने आई हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार MNREGA के पूरे ढांचे को सुधार रही है। नाम बदलना इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। सरकार का उद्देश्य योजना को आज की जरूरतों के हिसाब से ढालना है। इससे करोड़ों ग्रामीणों को सीधा फायदा होगा।
समय पर भुगतान न होना बड़ी समस्या
देश में केवल सात प्रतिशत परिवारों को ही पूरे 100 दिन का काम मिल पाता है। MNREGA में सबसे बड़ी चुनौती समय पर मजदूरी न मिलना है। तकनीकी खामियों के कारण मजदूरों का पैसा अटक जाता है। कई राज्यों में फर्जी जॉब कार्ड से पैसे निकालने के मामले भी आए हैं। डिजिटल हाजिरी में भी गलतियां हो रही हैं। सरकार अब इन विसंगतियों को दूर करने पर जोर दे रही है।
जल संरक्षण पर होगा फोकस
सरकार ने योजना के फंड इस्तेमाल के नियमों में भी बदलाव किया है। अब MNREGA का पैसा जल संकट से निपटने में लगेगा। अगले साल देशभर में एक करोड़ जल संचय ढांचे बनाए जाएंगे। जिन जिलों में पानी की कमी (डार्क जोन) है, वहां फंड का 65 प्रतिशत हिस्सा केवल जल संरक्षण पर खर्च होगा। सामान्य जिलों में भी यह सीमा 30 प्रतिशत तय की गई है। सरकार इसे अधिक पारदर्शी बनाना चाहती है।
