Shimla News: केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के तहत रोजगार के दिनों की संख्या बढ़ा दी है। अब राज्य के ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के बजाय 150 दिनों का रोजगार मिलेगा। प्रदेश में आपदा की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह आदेश जारी किया है। यह वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लागू होगा। इसका खर्च केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन करेंगी। इस कदम से प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी।
आपदा का प्रभाव
हिमाचल प्रदेश में इस साल भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने तबाही मचाई। इससे सड़कें, पुल और पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। कई घर पूरी तरह से नष्ट हो गए। हजारों परिवार विस्थापित हुए और खेती बुरी तरह प्रभावित हुई।
राज्य में 45 बादल फटने और 91 फ्लैश फ्लड की घटनाएं दर्ज की गईं। 105 से अधिक भूस्खलन भी हुए। 845 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए। 3254 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए। 780 सड़कें और 360 पेयजल योजनाएं अभी भी बाधित हैं।
रोजगार की मांग
आपदा के कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए। खेती का काम न होने से ग्रामीणों की आजीविका प्रभावित हुई। इससे राज्य में रोजगार की मांग कई गुना बढ़ गई। राज्य सरकार ने केंद्र से रोजगार दिवस बढ़ाने की मांग की थी।
अतिरिक्त रोजगार मिलने से ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सहारा मिलेगा। जिनकी रोजी-रोटी छिन गई है, उन्हें गांव में ही काम उपलब्ध होगा। यह कदम आपदा पुनर्निर्माण कार्यों में भी मदद करेगा।
तकनीकी तैयारी
मनरेगा सॉफ्टवेयर में संशोधन किया जाएगा। इससे 150 दिनों के रोजगार का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा। अतिरिक्त 50 दिनों के खर्च का अलग से हिसाब रखा जाएगा। ऑडिट में फंड के उपयोग की जांच भी की जाएगी।
पंचायतों की जिम्मेदारी होगी कि अतिरिक्त रोजगार का लाभ हर गांव तक पहुंचे। मजदूरी दर और अन्य शर्तें पहले की तरह ही लागू रहेंगी। पचास प्रतिशत कामों का खर्च पंचायतों को ही उठाना होगा।
