New Delhi News: कांग्रेस ने मोदी सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि पिछले 11 वर्षों में मनरेगा के बजट में कटौती की गई है। उन्होंने दैनिक मजदूरी 400 रुपये करने की मांग भी दोहराई।
जयराम रमेश ने कहा कि मनरेगा कानून बनने की 20वीं वर्षगांठ पर चिंता जतानी पड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वित्त मंत्रालय ने पांच महीनों में ही 60 प्रतिशत बजट खर्च कर दिया। इससे देश के करोड़ों ग्रामीण परिवारों का भविष्य खतरे में पड़ गया है।
बजट आवंटन को लेकर आपत्ति
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मनरेगा को पिछले 11 वर्षों से पर्याप्त बजट नहीं मिला। उच्च महंगाई के बावजूद बजट लगभग स्थिर बना हुआ है। इससे योजना का मांग-आधारित दृष्टिकोण प्रभावित हुआ है। करोड़ों श्रमिकों को जरूरत के समय काम नहीं मिल पाता।
मजदूरी भुगतान में देरी का आरोप
रमेश ने आरोप लगाया कि मजदूरों को वेतन भुगतान 15 दिनों की वैधानिक समयसीमा के बाद मिलता है। मुआवजा भी नहीं दिया जाता। हर साल मनरेगा बजट का 20-30 प्रतिशत हिस्सा पिछले साल के बकाया चुकाने में चला जाता है। पिछले 11 वर्षों में मजदूरी में बमुश्किल वृद्धि हुई है।
तकनीकी व्यवस्था पर सवाल
कांग्रेस नेता ने एनएमएमएस ऐप और आधार-आधारित भुगतान प्रणाली पर भी सवाल उठाए। अनुमानों के अनुसार दो करोड़ से अधिक मजदूरों को उनके कानूनी हक का काम और भुगतान नहीं मिल पाया। कांग्रेस ने तत्काल सुधार की मांग की है।
पार्टी ने मनरेगा के बजट में वृद्धि की मांग की है। समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करने की नीति का पालन करने को कहा है। दैनिक मजदूरी 400 रुपये करने और भविष्य में मजदूरी दर तय करने के लिए स्थायी समिति के गठन की मांग की है।
