New Delhi: कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने शनिवार को केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने मनरेगा (MGNREGA) योजना पर ‘बुलडोजर’ चला दिया है। सोनिया गांधी ने कहा कि संसद से पारित ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक’ के जरिए गरीबों के हितों पर हमला किया गया है। उन्होंने इसे ‘काला कानून’ बताते हुए इसके खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है।
मनमोहन सरकार की उपलब्धियां गिनाईं
सोनिया गांधी ने एक वीडियो संदेश जारी कर पुरानी यादें ताजा कीं। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में मनरेगा कानून बना था। उस समय संसद ने इसे आम सहमति से पास किया था। यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हुआ था। इससे करोड़ों ग्रामीण परिवारों को सीधा लाभ मिला। यह योजना शोषित, वंचित और गरीब वर्ग के लिए जीवन जीने का सहारा बनी थी।
पलायन रोकने में मिली थी मदद
रायबरेली की पूर्व सांसद ने कहा कि मनरेगा ने लोगों को अपना घर और गांव छोड़ने से रोका। इससे पलायन पर काफी हद तक रोक लगी थी। ग्रामीणों को रोजगार का कानूनी अधिकार मिला और ग्राम पंचायतों को शक्ति मिली। यह महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपने की ओर एक मजबूत कदम था। उन्होंने दावा किया कि कोरोना काल में यह योजना गरीबों के लिए संजीवनी साबित हुई थी।
दिल्ली से तय होगा रोजगार का भविष्य
कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना किसी सलाह-मशवरे के इस कानून का रूप बदल दिया है। विपक्ष को भी विश्वास में नहीं लिया गया। सोनिया गांधी ने चिंता जताई कि अब रोजगार के फैसले जमीनी हकीकत से दूर दिल्ली में बैठकर लिए जाएंगे। यह तय करना सरकार के हाथ में होगा कि किसे, कहां और कितना काम मिलेगा।
काले कानून के खिलाफ संघर्ष का एलान
सोनिया गांधी ने साफ किया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा कि यह मामला किसी पार्टी का नहीं, बल्कि देशहित का है। सरकार ने करोड़ों किसानों और भूमिहीन मजदूरों के पेट पर लात मारी है। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले वे रोजगार के अधिकार के लिए लड़ी थीं। आज भी वे इस नए काले कानून के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता गरीबों की इस लड़ाई में साथ खड़े हैं।
