Himachal News: हिमाचल हाई कोर्ट ने मातृत्व अवकाश पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नौकरी के बाद तीसरे बच्चे की मां बनी महिला कर्मचारी भी छुट्टी की हकदार है। स्टाफ नर्स अर्चना शर्मा की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने सरकार को तत्काल अवकाश देने का आदेश दिया। अर्चना ने पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल में 6 मार्च 2025 से छुट्टी के लिए आवेदन किया था।
याचिका की पृष्ठभूमि
पांवटा साहिब में स्टाफ नर्स अर्चना शर्मा ने 5 मार्च 2025 को बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, लेकिन सक्षम प्राधिकारी ने कोई फैसला नहीं लिया। कोर्ट के निर्देश के बावजूद प्राधिकारी ने आवेदन खारिज कर दिया। सरकार का तर्क था कि नियमों के तहत केवल दो बच्चों के लिए ही छुट्टी मिलती है। कोर्ट ने इस निर्णय को रद कर तुरंत छुट्टी देने का आदेश दिया।
कोर्ट का तर्क
हाई कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक न्याय देना है। मां और बच्चे के स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके बीच स्नेह का बंधन बनाना जरूरी है। नौकरी से पहले या बाद में जन्मे बच्चों में भेदभाव नहीं हो सकता। तीसरे बच्चे के जन्म पर भी मां को छुट्टी का अधिकार है। हिमाचल हाई कोर्ट ने इस फैसले को लागू करने को कहा।
प्रार्थी की स्थिति
अर्चना शर्मा की शादी 2016 में हुई थी। 2019 में स्टाफ नर्स के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। उनके दो बच्चे नियुक्ति से पहले जन्मे थे। तीसरा बच्चा नौकरी के बाद पैदा हुआ। इसलिए वह मातृत्व अवकाश की हकदार बनीं। कोर्ट ने कहा कि नवजात को मां की देखभाल की जरूरत होती है। बच्चे के पहले वर्ष में मां का ध्यान महत्वपूर्ण है।
मातृत्व अवकाश का महत्व
कोर्ट ने जोर दिया कि मातृत्व अवकाश मां और बच्चे के बीच स्नेह बंधन को मजबूत करता है। तीसरे बच्चे के जन्म पर छुट्टी से इनकार करना भेदभाव है। नवजात को मां की देखभाल की जरूरत होती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में महिला कर्मचारी के अधिकारों का हनन नहीं हो सकता। यह फैसला महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करता है।
