Bilaspur News: जम्मू-कश्मीर के डुडू-बसंतगढ़ इलाके में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए लांस दफादार बलदेव चंद की पार्थिव देह रविवार को उनके गांव थेह पहुंची। पूरा गांव शोक में डूब गया। शहीद की पत्नी शिवानी ने लाल रंग का सूट पहनकर पति को विदा किया। उन्होंने बेटे ईशान से कहा कि पापा के सामने नहीं रोना है, लेकिन अंतिम विदाई के वक्त वह खुद अपने आपे से बाहर हो गईं।
पार्थिव देह दोपहर करीब ढाई बजे घर पहुंची। जैसे ही शहीद की देह आंगन में रखी गई, माहौल भावुक हो उठा। पत्नी शिवानी ने सात साल के बेटे ईशान को समझाया कि पापा के सामने रोना नहीं है। वह पिता के पास शांत बैठा रहा, मगर उसे पता नहीं था कि उसने पापा को हमेशा के लिए खो दिया है।
अंतिम दर्शन के लिए परिवार और ग्रामीणों ने करीब 27 मिनट तक श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीद की मां का दर्द उभर आया। वह बेटे के पार्थिव शरीर से लिपट गईं। उन्होंने कहा, “मेरे लाल, एक बार तो उठ जा। तू मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाएगा।” पूरा परिवार रोता रहा।
दोपहर साढ़े तीन बजे शहीद की अंतिम यात्रा निकाली गई। छोटे भाई ने पूरे दिन बलदेव के बेटे को गोद में संभाला। अंतिम संस्कार के वक्त उसी के हाथों से पिता को मुखाग्नि दिलाई गई। इस दृश्य ने मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर दीं।
शहीद बलदेव चंद के पिता स्वयं सेवानिवृत्त हवलदार बिशन दास हैं। उन्होंने बेटे की शहादत पर गर्व जताया। शनिवार से ही शहीद के घर पर लोगों का तांता लगा हुआ था। रविवार को सैकड़ों लोग अंतिम विदाई देने पहुंचे।
अंतिम संस्कार में जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय नेता शामिल हुए। इनमें विधायक जीत राम कटवाल, डीसी राहुल कुमार और एसपी संदीप धवल मौजूद रहे। सभी ने शहीद के परिवार को संबल दिया और उनके साहस को सलाम किया। शहीद बलदेव चंद डोगरा रेजिमेंट और राष्ट्रीय राइफल्स में अपनी सेवा दे रहे थे।
