World News: कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद दुनिया के सामने एक नई चुनौती आई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पुष्टि की है कि दक्षिणी इथियोपिया में मारबर्ग वायरस के कम से कम नौ मामले सामने आए हैं। यह वायरस इबोला जैसी घातक बीमारी फैलाता है। WHO ने सीमा पार इसके प्रसार को रोकने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
मारबर्ग वायरस को इबोला का चचेरा भाई माना जाता है। यह दोनों वायरस लगभग समान लक्षण पैदा करते हैं। यह पूर्वी अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी इस पर नियंत्रण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। स्थिति गंभीर बनी हुई है।
WHO की चेतावनी और प्रयास
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोशल मीडिया के जरिए जानकारी साझा की है। संगठन इथियोपिया को इस प्रकोप को नियंत्रित करने में सक्रिय मदद दे रहा है। संक्रमित लोगों का इलाज करने के साथ ही सीमा पार फैलाव रोकने पर जोर दिया जा रहा है। WHO ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है।
मारबर्ग वायरस क्या है?
मारबर्ग वायरस रोग एक गंभीर बुखार पैदा करने वाली बीमारी है। यह सीधे संपर्क में आने से एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकती है। संक्रमित व्यक्ति के रक्त, लार या मूत्र जैसे शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से यह संक्रमण transfer होता है। दूषित सतहों को छूने से भी खतरा रहता है।
यह वायरस इबोला वायरस परिवार से संबंध रखता है। इसकी पहचान सबसे पहले 1967 में हुई थी। जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट तथा सर्बिया के बेलग्रेड में प्रयोगशाला कर्मचारी संक्रमित हुए थे। संक्रमित जंगली जानवरों के संपर्क में आने से यह मनुष्यों में फैलता है।
मारबर्ग वायरस के लक्षण
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। अन्य सामान्य लक्षणों में सीने में दर्द, मतली, उल्टी और दस्त देखे जा सकते हैं। गंभीर मामलों में अत्यधिक रक्तस्राव और कई अंगों के काम करना बंद हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि संक्रमित मरीजों में बीमारी शुरू होने के 2-7 दिनों के भीतर बिना खुजली वाले दाने विकसित हो सकते हैं। यह दाने शरीर के विभिन्न हिस्सों में दिखाई देते हैं। लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।
उच्च मृत्यु दर वाला वायरस
पिछले रुझानों के अनुसार मृत्यु आमतौर पर वायरस की शुरुआत के आठ से नौ दिनों के भीतर होती है। मृत्यु से पहले तीव्र रक्तस्राव और सदमे की स्थिति देखी जाती है। मारबर्ग वायरस की मृत्यु दर लगभग 50 प्रतिशत है। फिलहाल इसके लिए कोई टीका या एंटी-वायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।
अफ्रीका में पहले के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार मारबर्ग के मामले पहले भी कई अफ्रीकी देशों में सामने आ चुके हैं। कांगो, घाना, केन्या, इक्वेटोरियल गिनी, रवांडा, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और युगांडा में इसके मामले रिपोर्ट हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस चमगादड़ों से मनुष्यों में फैला होगा।
यह वायरस प्रकोप नियंत्रित होने के बाद भी दोबारा फैल सकता है। इसलिए लगातार सतर्कता बनाए रखना जरूरी है। स्वास्थ्य अधिकारी पूरे क्षेत्र में निगरानी व्यवस्था मजबूत कर रहे हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
