Manipur News: मणिपुर की एक फास्ट-ट्रैक अदालत ने एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने दोषी सौतेले पिता को POCSO अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। साथ ही पीड़िता की मां को भई अपराध की सूचना न देने के लिए दोषी पाया गया। अदालत ने इस मामले को विश्वास के साथ विश्वासघात बताया।
अदालत ने सुनाई सजा
विशेष जज आरके मेम्चा देवी की अदालत ने मोइरांगथेम इबोचौ सिंह को दोषी करार दिया। उस पर अपनी नाबालिग सौतेली बेटी का बार-बार यौन शोषण करने का आरोप था। अदालत ने कहा कि आरोपी ने अपने सौतेले पिता के रूप में विश्वास का दर्जा होने का गलत फायदा उठाया।
मां भी हुई दोषी
पीड़िता की मां मोइरांगथेम को भी POCSO अधिनियम की धारा 21 के तहत दोषी पाया गया। अदालत ने पाया कि उसे अपने पति के अपराध की जानकारी थी। फिर भी उसने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी। अदालत ने इसे एक गंभीर अपराध माना।
एक आरोपी हुआ बरी
मामले के दूसरे आरोपी हवाइबम मंगलेजाओ सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। अदालत ने उनके जमानत बांड को रद्द करने का आदेश दिया। इससे पता चलता है कि अदालत ने सबूतों के आधार पर निर्णय लिया।
कई साल चला था शोषण
यह मामला अगस्त 2019 में दर्ज एक एफआईआर से शुरू हुआ। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उसका शोषण कई वर्षों से चल रहा था। उसने विरोध किया लेकिन आरोपी ने उत्पीड़न जारी रखा। अदालत ने गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट को गंभीरता से लिया।
पीड़िता का बयान रहा अहम
अदालत ने पीड़िता का धारा 164 के तहत दर्ज बयान देखा। इसे विश्वसनीय और सुसंगत पाया गया। इस बयान ने दोषियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों दोषियों की सजा पर सुनवाई जल्द होगी।
