मणिपुर न्यूज: मणिपुर में हुई ताजा गोलीबारी की घटना में घायल हुए दो और लोगों की मौत हो गई है। गुरुवार की सुबह बिष्णुपुर जिले के खोइरेंटक तलहटी और चुराचांदपुर जिले के चिंगफेई और खौसाबुंग इलाकों में दो समूहों के बीच फिर भारी गोलीबारी हुई है। अधिकारियों के मुताबिक, गोलीबारी की हालिया घटना बुधवार शाम से कुछ घंटों की शांति के बाद हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि बुधवार की इस हिंसा में सिर में छर्रे लगने से घायल हुए एक व्यक्ति की मिजोरम के रास्ते गुवाहाटी ले जाते समय मौत हो गई।
डिफेंस से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, कुकी-ज़ोमी-प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर जिले के खोइरेंटक और मैतेई-प्रभुत्व वाले बिष्णुपुर जिले के आसपास के दोनों जिलों के क्षेत्र में गोलीबारी 29 अगस्त की सुबह शुरू हुई थी जो अब तक जारी है। सूत्रों के अनुसार, दोनों जिलों के अलग-अलग क्षेत्रों में बुधवार देर रात तक रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही, जो आज पिर शुरू हो गई। इस गोलीबारी में बिष्णुपुर के एक व्यक्ति, चुराचांदपुर के चार लोग और दो आईआरबी कर्मी घायल हो गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि छर्रे लगने से घायल हुए एक अन्य व्यक्ति की बृहस्पतिवार सुबह करीब नौ बजे चुराचांदपुर जिले के अस्पताल में मौत हो गई। अधिकारियों के अनुसार, चिंगफेई इलाके में बुधवार शाम हुई गोलीबारी में घायल हुए पांच लोगों में से तीन को चुराचांदपुर जिला अस्पताल लाया गया था। उन्होंने बताया कि एक के सिर पर छर्रे लगे है, जबकि अन्य के कंधे, पैर और पीठ पर चोटें आई हैं।
बिष्णुपुर के नारायणसेना गांव के पास मंगलवार को हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई और छह घायल हो गए। सूत्रों ने बताया कि एक की मौत गोली लगने से हुई थी, जबकि दूसरे की मौत उसकी अपनी देसी बंदूक का निशाना चूकने के कारण गोली उसके चेहरे पर लगने से हुई।
मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा कांगपोकपी, थौबल, चुराचांदपुर और वेस्ट-इंफाल के सीमांत और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान चलाया गया। इस दौरान पांच हथियार, 31 गोला-बारूद, 19 विस्फोटक, आईईडी सामग्री के तीन पैक बरामद किए गये। पुलिस ने विभिन्न जिलों में 130 नाके भी लगाए हैं और नियमों का उल्लंघन करने पर 1,646 लोगों को हिरासत में लिया है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और उनमें से ज्यादातर पर्वतीय जिलों में रहते हैं।