Himachal News: मंडी नगर निगम ने पंडित सुखराम की प्रतिमा स्थापित करने के मामले में सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करने का फैसला किया है। निगम की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वह अपने स्तर पर कोई मूर्ति स्थापित नहीं करेगा। इस मामले में साल 2015 की राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही कार्रवाई होगी।
मूर्ति स्थापना की मांग पंडित सुखराम के पोते आश्रय ने की थी। इस मांग के बाद से ही राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई थी। नगर निगम ने स्पष्ट किया कि कोई संस्था आवेदन करेगी तभी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
सरकारी गाइडलाइन के अनुसार प्रक्रिया
मूर्ति स्थापना के लिए चार से पांच सदस्यों की एक समिति गठित की जाएगी। इस समिति की अध्यक्षता संबंधित जिला के उपायुक्त करेंगे। सुखराम की मूर्ति स्थापना के मामले में इसी समिति द्वारा फैसला लिया जाना है।
अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। मूर्ति स्थापना का पूरा व्यय संबंधित संस्था को वहन करना होगा। नगर निगम ने स्पष्ट कर दिया है कि वह वित्तीय रूप से इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होगा।
मेयर वीरेंद्र भट्ट ने कहा कि नगर निगम सरकारी नीतियों का पालन करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि निगम अपने स्तर पर कोई मूर्ति स्थापित नहीं करेगा। सभी नियमों और प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर मिल रही प्रतिक्रिया
इस मामले ने सोशल मीडिया पर भी चर्चा शुरू कर दी है। कई यूजर्स ने पंडित सुखराम से जुड़े घोटालों का जिक्र करते हुए इस मूर्ति का विरोध किया है। कुछ लोगों ने मजाक में कहा कि मूर्ति के साथ घोटालों का बोर्ड भी लगना चाहिए।
कुछ यूजर्स ने तो यहां तक लिखा कि सुखराम की मूर्ति नोटों पर स्थापित होनी चाहिए। इस तरह की टिप्पणियों ने इस मामले को और अधिक विवादास्पद बना दिया है। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर गर्मागर्म बहस जारी है।
मंडी में पहले से स्थापित हैं कई मूर्तियां
मंडी शहर में पहले से ही कई महान हस्तियों की मूर्तियां स्थापित हैं। इनमें महात्मा गांधी, भाई हृदय राम, रानी खैरागढ़ी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और स्वामी कृष्णा नंद की प्रतिमाएं शामिल हैं।
यह मामला तब सामने आया है जब शिमला में राजा वीरभद्र सिंह की मूर्ति स्थापित की गई थी। कांग्रेस नेतृत्व ने इस कार्यक्रम के माध्यम से राजनीतिक एकता का प्रदर्शन किया था। इसी के बाद सुखराम की मूर्ति की मांग उठने लगी।
नगर निगम के इस फैसले ने सभी हितधारकों के लिए स्थिति स्पष्ट कर दी है। अब कोई भी संस्था या व्यक्ति आधिकारिक प्रक्रिया के तहत ही इस मामले को आगे बढ़ा सकता है। सरकारी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया गया है।
इस पूरे मामले ने सार्वजनिक स्थानों पर मूर्ति स्थापना की प्रक्रिया पर नए सिरे से बहस शुरू कर दी है। अब तक की प्रक्रिया के अनुसार, कोई भी संस्था आवेदन कर सकती है लेकिन उसे सभी शर्तों का पालन करना होगा। नगर निगम ने अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को स्पष्ट कर दिया है।
