Mandi News: मंडी जिले के तुंगल घाटी में स्थित श्री त्रोकड़ाधाम आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। यहाँ माँ त्रोकड़ावाली की दिव्य मूर्ति पत्थर फाड़कर प्रकट हुई थी। मान्यता है कि माँ अंबिका ने दुर्गा रूप में यहाँ अवतार लिया। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली इस धाम में हर वर्ष भाद्रपद कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को भव्य जाग का आयोजन होता है।
मूर्ति प्राकट्य की अद्भुत कथा
त्रोकड़ा धाम का इतिहास भक्त लाभ सिंह धरवाल से जुड़ा है। निर्माण कार्य के दौरान एक भारी पत्थर टूटा तो उसमें से माता की भव्य मूर्ति प्रकट हुई। भक्त ने माँ से परीक्षा लेने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने आधे घंटे में बारिश की माँग की। साफ आसमान में अचानक बादल छाए और मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। इस चमत्कार ने सभी के विश्वास को दृढ़ किया।
धाम की विशेष परंपराएं
त्रोकड़ा धाम में नशीले पदार्थों का पूर्णतः निषेध है। यहाँ पशु बलि की परंपरा नहीं है। केवल नारियल से सभी धार्मिक कार्य संपन्न होते हैं। भक्तों के पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में दर्ज किए जाते हैं। संतान प्राप्ति से लेकर पितरों के उद्धार तक के अनुष्ठान यहाँ होते हैं। यह स्थान नवग्रह शांति के लिए भी प्रसिद्ध है।
भक्त लाभ सिंह की समर्पण भावना
लाभ सिंह जी ने 1960 के दशक से माँ की भक्ति आरंभ की। वे कठिन परिस्थितियों में भी माँ के दरबार तक पहुँचते रहे। माँ ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर मंदिर निर्माण का संकेत दिया। आर्थिक चुनौतियों और आलोचनाओं के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। धीरे-धीरे भक्तों के सहयोग से मंदिर का निर्माण संभव हुआ।
वार्षिक जाग समारोह
हर वर्ष भाद्रपद कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को यहाँ भव्य जाग का आयोजन होता है। इस अवसर पर माता के गूर देववाणी करते हैं। श्रद्धालु भजन-कीर्तन और भंडारे का आयोजन करते हैं। देश-विदेश से हज़ारों श्रद्धालु इस समारोह में भाग लेते हैं। धाम के प्रांगण में प्रवेश करते ही अलौकिक शांति का अनुभव होता है।
