Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में सराज विधानसभा क्षेत्र की मुरहाग पंचायत के सूराह गांव में मंडी आपदा ने भारी तबाही मचाई है। बाढ़ और भूस्खलन ने गांव को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। लगभग 200 बीघा कृषि भूमि बह गई, और 23 परिवारों के घर पूरी तरह नष्ट हो गए। सड़कों के टूटने से प्रशासन और नेता गांव तक नहीं पहुंच पाए। ग्रामीणों ने तत्काल राहत की मांग की है।
गांव तक पहुंच बाधित
सूराह गांव में मंडी आपदा के कारण सभी रास्ते क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सड़कों की मरम्मत बेहद धीमी गति से हो रही है। समाजसेवी और स्वयंसेवी संगठन राशन को सड़क किनारे तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन गांव तक आपूर्ति नहीं हो पा रही। बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है, जिससे ग्रामीणों का जीवन और कठिन हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि वे संकट में अकेलेपन का अनुभव कर रहे हैं।
पशुओं के लिए चारे का संकट
मंडी आपदा ने सूराह गांव के खेतों को तबाह कर दिया, जिससे पशुओं के लिए चारे की भारी कमी हो गई है। पहले से उपलब्ध चारा भी अब खत्म हो चुका है। गांव के अधिकतर लोग दूध के व्यवसाय से जुड़े थे, जो अब ठप हो गया है। ग्रामीणों ने सरकार से तत्काल चारा और अन्य सहायता उपलब्ध कराने की अपील की है, ताकि उनके पशुधन को बचाया जा सके।
ग्रामीणों की गुहार
सूराह गांव के लोगों ने वीडियो और टेलीफोन के जरिए अपनी पीड़ा साझा की है। उन्होंने सरकार से तत्काल राहत और पुनर्वास की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि मंडी आपदा ने उनकी आजीविका छीन ली है। वे चाहते हैं कि सरकार न केवल चारे की व्यवस्था करे, बल्कि उनके घरों और खेतों के नुकसान की भरपाई के लिए ठोस कदम उठाए।
प्रशासन की चुनौतियां
मंडी आपदा के बाद प्रशासन के सामने कई चुनौतियां हैं। सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि राहत कार्यों में देरी हो रही है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंडी जिले के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और सात करोड़ रुपये की राहत राशि की घोषणा की। फिर भी, सूराह गांव जैसे दूरस्थ क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना मुश्किल साबित हो रहा है।
सामुदायिक प्रयास
सूराह गांव में समाजसेवी और स्थानीय लोग राहत कार्यों में जुटे हैं। कई स्वयंसेवी संगठन राशन और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध करा रहे हैं। हालांकि, सड़कों और बिजली की कमी के कारण ये प्रयास सीमित हैं। ग्रामीणों ने एकजुट होकर आपदा से निपटने की कोशिश की, लेकिन वे अब सरकार के समर्थन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनकी उम्मीदें अब भी बरकरार हैं।
