Himachal News: सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग बीस नवंबर को आधिकारिक रूप से बंद हो गया। लाहुल-स्पीति प्रशासन ने बीआरओ की सिफारिश पर सर्दियों में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया। यह चार सौ तीस किलोमीटर लंबा मार्ग अब अगले साल अप्रैल या मई तक बंद रहेगा। इस दौरान इस मार्ग पर किसी भी वाहन को जाने की अनुमति नहीं होगी।
इस साल यह मार्ग बारह मई को खोला गया था और तेरह मई से वाहनों की आवाजाही शुरू हुई थी। छह महीने तक इस मार्ग पर पर्यटकों और स्थानीय लोगों की भारी भीड़ रही। लाहुल-स्पीति की उपायुक्त किरण भड़ाना ने यात्रियों से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
मनाली-लेह मार्ग पर्यटकोंके बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। इसकी भौगोलिक संरचना और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। विशेष रूप से बाइकर्स इस मार्ग पर सफर करना पसंद करते हैं। आसमान छूते बर्फ से ढके दर्रे रोमांचकारी अनुभव प्रदान करते हैं।
यह मार्ग चार महत्वपूर्ण और उच्च ऊंचाई वाले दर्रों से होकर गुजरता है। बारालाचा ला सोलह हजार चालीस फीट की ऊंचाई पर स्थित है। नकी ला पंद्रह हजार पांच सौ सैंतालीस फीट और लाचुग ला सोलह हजार छह सौ सोलह फीट ऊंचा है। तांगलांग ला सत्रह हजार चार सौ बयासी फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
सामरिक महत्व
मनाली-लेह मार्ग कासामरिक दृष्टि से विशेष महत्व है। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सेना तक रसद पहुंचाने के लिए यह सुरक्षित मार्ग है। इस मार्ग पर दुश्मनों की नजर नहीं पड़ती। सीमा तक रसद और अन्य आपूर्ति इसी मार्ग से भेजी जाती है।
लेह पहुंचने के लिए श्रीनगर और कारगिल होकर जाने वाला मार्ग भी है। लेकिन उस मार्ग पर दुश्मनों की नजर बनी रहती है। इस कारण सेना के लिए मनाली-लेह हाईवे अधिक महत्वपूर्ण है। यह मार्ग सुरक्षा की दृष्टि से अधिक विश्वसनीय माना जाता है।
वैकल्पिक मार्ग की स्थिति
बीआरओ नेमनाली से शिंकुला जांस्कर नीमो होते हुए लेह के लिए तीसरा मार्ग भी बनाया है। यह मार्ग सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर माना जाता है। हालांकि सेना के वाहनों के लिए अभी यह मार्ग पूरी तरह तैयार नहीं है। आपात स्थिति में पिछले दो साल से इस मार्ग का उपयोग किया जा रहा है।
शिंकुला मार्ग से लेह पहुंचने में बारालाचा मार्ग की तुलना में दोगुना समय लगता है। स्थानीय लोगों के लिए यह मार्ग नया विकल्प लेकर आया है। बीआरओ इस मार्ग को और विकसित करने पर काम कर रहा है। भविष्य में यह मार्ग और महत्वपूर्ण हो सकता है।
बीआरओ की जिम्मेदारी
चार सौतीस किलोमीटर लंबे इस हाईवे की देखरेख बीआरओ की दो परियोजनाएं करती हैं। हिमांक परियोजना लेह क्षेत्र से सरचू तक के हिस्से का रखरखाव करती है। दीपक परियोजना हिमाचल क्षेत्र के सरचू तक सड़क का रखरखाव करती है। दोनों परियोजनाएं मिलकर इस महत्वपूर्ण मार्ग को चालू रखती हैं।
बीआरओ की टीमें मार्ग बंद होने के बाद रखरखाव का काम शुरू कर देंगी। सर्दियों के दौरान बर्फबारी और खराब मौसम के कारण हुए नुकसान की मरम्मत की जाएगी। अगले साल मार्च-अप्रैल तक मार्ग को फिर से खोलने की तैयारी शुरू हो जाएगी। इस दौरान सड़क सुरक्षा के सभी मानकों का ध्यान रखा जाएगा।
